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Hamirpur: हमीरपुर शहर में आइडल पार्किंग के नाम पर हो रहे चालान बने चालकों के लिए आफत

Disaster for drivers to be challaned in the name of idol parking

Hamirpur: हमीरपुर शहर में बेशक माकूल पार्किंग हो न हो, लेकिन आइडल पार्किंग के नाम पर थोक में हो रहे चालानों ने वाहन चालकों की नाक में दम कर के रख दिया है। शहर में डीसी ऑफिस के साथ एक मात्र अधिकारिक पार्किंग के अलावा बस स्टैंड के ऊपर बनी नगर परिषद की पार्किंग है। इसके अलावा शहर में कोई पार्किंग नहीं है।

डीसी ऑफिस के साथ वाली पार्किंग की बात करें तो इसमें 100 गाडिय़ों की पार्किंग के लिए स्थान बामुश्किल से बनता है, जबकि बस स्टैंड के ऊपर बनी नगर परिषद की आधी पार्किंग अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। कभी 17 हजार की आबादी के लिए बने हमीरपुर शहर में वर्तमान में 1.5 से 2 लाख लोग रहते हैं। करीब 4.5 लाख की आबादी वाले प्रदेश के सबसे शिक्षित माने जाने वाले जिला हमीरपुर में हर चौथे घर में किसी न किसी सूरत में कोई न कोई वाहन मौजूद है। शहर की रोजमर्रा की खरीददारी व प्रशासनिक कार्यों के लिए जिला की जनता हमीरपुर पहुंचती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शहर में पार्किंग है ही नहीं तो आइडल पार्किंग के चालान कहां तक तर्कसंगत हैं।

 शहर में आधा दर्जन के करीब प्राइवेट पार्किंग मौजूद है। जो काफी हद तक शहर में पहुंचने वाले वाहनों को पार्किंग की सुविधा मुहैया करवाती है लेकिन इन पार्किंगों में भी अपेक्षाकृत स्थानों की कमी रहती है। दो बार प्रदेश को मुख्यमंत्री दे चुका यह जिला पार्किंग की समस्या से निरंतर परेशान है। लोगों के पास इस परेशानी से बचने का कोई हल नहीं है। क्योंकि आखिर कहीं तो लोगों को गाड़ी खड़ी करनी पड़ेगी। प्रशासन व सरकार के पास इस समस्या का दूर-दूर तक कोई हल नहीं दिखता है।

 ऐसे में गाड़ी वालों को पुलिस के नाहक चालानों का शिकार होना पड़ता है और अब आइडल पार्किंग व रन अवे के चालानों ने जनता को धुंआ देकर रख दिया है। क्योंकि जिसका चालान होता है उसको पता ही नहीं चलता है कि उसका चालान हो चुका है। उसको जानकारी तब होती है जब चालान का समन या वारंट उसके घर पहुंचता है कि आपका आइडल चालान या रन अवे का चालान हो चुका है।

बेहतर होगा कि पार्किंग की बढ़ रही समस्या से सरकार निजात दिलाकर कोई हल सुलझाए और चालान अथॉरिटी का भी फर्ज बनता है कि जहां आइडल पार्किंग का चालान किया जाता है तो कम से कम गाड़ी के साथ चिट तो लगाई जाए ताकि चालान होने वाले को यह पता तो चल सके कि उसकी गाड़ी का चालान क्यों और कब हुआ है।

इस मामले की जांच करवाने के साथ यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि आइडल पार्किंग की सूरत में हुए चालानों की चिट गाड़ी के साथ लगवाकर सूचना देने की कोशिश की जाएगी।
-अर्जित सिंह, एसपी हमीरपुर

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