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Himachal: नशा तस्करों से भर गई जेलें

हमीरपुर-प्रदेश पुलिस की सतर्कता और सख्ती से जहां एक और मारपीट, ट्रैफिक नियमों की अवहेलना, सहित अन्य तरह के क्राइम में भले ही कमी आई हो, लेकिन एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। 

आलम यह है कि प्रदेश की जेलें ड्रग्स के आरोपियों से ओवर क्राउडेड हो गई हैं। जेलों में जो कैदी बंद हैं, उनमें अधिकतर नशे के मामलों में या तो सजा काट रहे हैं या अंडर ट्रायल हैं। वर्ष 2019 के एक साल के ड्रग्स के मामलों की बात करें तो साल भर में पुलिस के पास लगभग 1450 मामले दर्ज हुए और करीब 1925 आरोपियों को ड्रग्स के मामलों में गिरफ्तार किया गया है। इस बात का खुलासा डीजीपी हिमाचल एसआर मरड़ी ने शनिवार को हमीरपुर में एक औपचारिक बातचीत में किया। 

जंगलबेरी फोर्थ बटालियन के निरीक्षण के उपरांत शिमला लौट रहे डीजीपी ने बताया कि उत्तरी भारत में चिट्टे का कारोबार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हिमाचल में भी इसका असर काफी देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो युवा चिट्टे के आदी हो गए हैं, उनके साथ हमारी सहानुभूति है। हमारा प्रयास रहता है कि उनके खिलाफ मामले दर्ज करने की बजाय, उन्हें नशे के दलदल से निकालने का प्रयास करें, लेकिन जो ड्रग विक्टिम भी हैं और ड्रग पैडलर भी हैं, उन्हें पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाना हमारी प्राथमिकता में हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में ओवर आल क्राइम रेट में कमी आई है, लेकिन ड्रग्स, जुआ और आबकारी मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डीजीपी मरड़ी ने कहा कि पुलिस कर्मियों की कमी के सवाल पर कहा कि प्रदेश भर में भर्तियां हुई हैं। दिसंबर से जवानों की ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। ट्रेनिंग के बाद ये जवान विभिन्न थानों चौकियों में ड्यूटियां देंगे। उसके बाद भी आवश्यकता के हिसाब से पुलिस भर्ती की जाएगी।

ड्रग-फ्री हिमाचल से जुड़ें

डीजीपी एसआर मरड़ी ने बताया कि पुलिस ने ड्रग-फ्री हिमाचल ऐप लांच की है। इसे कोई भी प्ले स्टोर से अपने मोबाइल पर इंस्टाल कर सकता है। इस ऐप की खासियत यह है कि इसके थ्रू जो भी किसी बात की सूचना पुलिस तक पहुंचाता है, उसकी आइडेंटिटी कभी डिसक्लोज नहीं हो पाती। कभी पुलिस को भी पता नहीं चल सकता कि जानकारी देने वाला कौन है। जानकारी देने वाले को किसी भी तरह के कोर्ट कचहरी के पचड़े में जाना ही नहीं पड़ेगा।

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