आयुर्वेद घोटाले के आरोपियों को कौन बचा रहा
कैग ऑडिट भी सस्पेंड करवा दिया पहुंच रखने वालों ने इस केस में गवाह और जांच अफसर ही अब निशाने पर
भाजपा सरकार के समय हुए आयुर्वेद खरीद घोटाले के आरोपियों को कौन बचा रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अब तक इस घोटाले की तह तक जाने को कोई तैयार नहीं, जबकि विभागीय जांच में सब साफ है कि खरीद से पहले जैम पोर्टल को सेट किया गया और फिर वित्तीय लेनदेन हुआ। कार्मिक विभाग ने ये सारे तथ्य सरकार के ध्यान में लाने के लिए फाइल पर रिकॉर्ड किए हैं। इसी फाइल में इस घटना पर क्रिमिनल केस दर्ज करने की सिफारिश थी।
लेकिन सरकार ने इस सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए दोबारा से जांच करवाने के लिए पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अनिल खाची को जांच अधिकारी लगाया, लेकिन अनिल खाची अब मुख्य सचिव बन गए हैं और उन्होंने आगामी बजट की तैयारियों की व्यस्तता बताते हुए फाइल आयुर्वेद विभाग को लौटा दी है। यानी वह अब इस मामले की जांच नहीं करेंगे।
इधर इस बीच एक हैरतअंगेज घटना यह हुई कि कैग ऑडिट की टीम आयुर्वेद निदेशालय पहुंची और ऑडिट शुरू किया। इसी टीम ने करीब 2 हफ्ते तक सारी जांच की और पाया कि इस खरीद से लाखों का नुकसान सरकारी धन को हुआ है। विभाग ने इंटरनल ऑडिट में डेढ़ करोड़ की खरीद में 40 लाख का नुकसान आंका था, जबकि कैग की टीम ने यह क्षति 78 लाख बताई।
विभाग ने बाजार कीमत से ज्यादा मूल्यों पर आयुर्वेद डिस्पेंसरियों और अस्पतालों में प्रयोग होने वाला सामान खरीदा और ऑर्डर प्लेस करने से पहले विके्रता से विशेष फिल्टर जैम पोर्टल पर लगवाए गए। ये टीम ऑडिट करने के बाद मैमो विभाग को सौंपकर गई, लेकिन विभाग को बाद में पता चला कि इस ऑडिट को ही सस्पेंड करवा दिया गया है।
यानी इनकी आपत्तियों का जवाब विभाग से लेने से पहले ही ऑडिट प्रक्रिया बंद करवा दी गई। इससे आयुर्वेद निदेशालय के अधिकारी भी हैरान हैं। पूरे मामले में गवाह और विभागीय जांच करने वाले अफसर अब निशाने पर हैं, जबकि आरोपियों पर कोई हाथ नहीं डाल रहा।
इधर इस बीच एक हैरतअंगेज घटना यह हुई कि कैग ऑडिट की टीम आयुर्वेद निदेशालय पहुंची और ऑडिट शुरू किया। इसी टीम ने करीब 2 हफ्ते तक सारी जांच की और पाया कि इस खरीद से लाखों का नुकसान सरकारी धन को हुआ है। विभाग ने इंटरनल ऑडिट में डेढ़ करोड़ की खरीद में 40 लाख का नुकसान आंका था, जबकि कैग की टीम ने यह क्षति 78 लाख बताई।
विभाग ने बाजार कीमत से ज्यादा मूल्यों पर आयुर्वेद डिस्पेंसरियों और अस्पतालों में प्रयोग होने वाला सामान खरीदा और ऑर्डर प्लेस करने से पहले विके्रता से विशेष फिल्टर जैम पोर्टल पर लगवाए गए। ये टीम ऑडिट करने के बाद मैमो विभाग को सौंपकर गई, लेकिन विभाग को बाद में पता चला कि इस ऑडिट को ही सस्पेंड करवा दिया गया है।
यानी इनकी आपत्तियों का जवाब विभाग से लेने से पहले ही ऑडिट प्रक्रिया बंद करवा दी गई। इससे आयुर्वेद निदेशालय के अधिकारी भी हैरान हैं। पूरे मामले में गवाह और विभागीय जांच करने वाले अफसर अब निशाने पर हैं, जबकि आरोपियों पर कोई हाथ नहीं डाल रहा।
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