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इस ड्राई फ्रूट्स की खेती करके किसान हो सकते है मालामाल, मार्केट में है तगड़ी डिमांड.



अगर आप ऐसा बिजनेस शुरू करना चाहते हैं जिसमें घाटे के चांस कम हों और बंपर कमाई हो तो काजू की खेती आपके लिए एक शानदार ऑप्शन हो सकता है। काजू एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसे सर्दी, गर्मी, और बारिश हर मौसम में खाया जाता है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इसे बड़े चाव से खाते हैं, और इसकी मांग गांव से शहरों तक हमेशा बनी रहती है। इस आर्टिकल में हम काजू की खेती के फायदे और इसे करने के बारे में बताएंगे..


काजू की खेती के बारे में जानकारी

काजू को सूखे मेवे के रूप में बहुत ही लोकप्रिय माना जाता है। काजू का पेड़ 14 मीटर से लेकर 15 मीटर या इससे ज्यादा ऊंचा हो सकता है। काजू के पौधे को फल देने के लिए तीन साल का समय लगता है। काजू के अलावा इसके छिलकों का भी उपयोग होता है। छिलकों से पेंट और लुब्रिकेंट्स तैयार किए जाते हैं जिससे इसकी खेती काफी फायदेमंद मानी जाती है।

काजू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

काजू का पौधा गर्म तापमान पर अच्छी तरह से बढ़ता है। इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। काजू को किसी भी प्रकार की मिट्टी पर उगाया जा सकता है लेकिन लाल बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। इसके लिए जमीन का चयन करते समय मिट्टी की जांच करवा लेना चाहिए ताकि पौधे अच्छी तरह से बढ़ सकें।

काजू की खेती का क्षेत्र

काजू के कुल उत्पादन का 25 फीसदी हिस्सा भारत से आता है। इसकी खेती केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर की जाती है। हालांकि अब इसकी खेती झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी की जाने लगी है। इससे पता चलता है कि काजू की खेती का क्षेत्र विस्तार हो रहा है और इसमें नई संभावनाएं बन रही हैं।

काजू की खेती की विधि

काजू की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले उपयुक्त पौधों का चयन करना चाहिए। पौधों को लगाने के लिए तैयार भूमि में 5×5 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदकर पौधे लगाए जाते हैं। पौधों की सही देखभाल और नियमित सिंचाई से पौधे जल्दी बढ़ते हैं और तीन साल में फल देना शुरू कर देते हैं। काजू की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर उचित दवाइयों का उपयोग करना चाहिए।

काजू की खेती करने का प्रोसेस

काजू की फसल तैयार होने के बाद उसे प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है। काजू के छिलकों को हटाकर उसे साफ किया जाता है और फिर पैकिंग की जाती है। प्रोसेसिंग के दौरान काजू को अच्छे से सुखाना और पैक करना महत्वपूर्ण होता है ताकि उसका गुणवत्ता बनी रहे। प्रोसेसिंग में खर्च आता है, लेकिन इसे अच्छी तरह से करने से बाजार में काजू की अच्छी कीमत मिलती है।

काजू की बिक्री और कमाई

बाजार में काजू की कीमत 1200 रुपये प्रति किलो तक होती है। एक हेक्टेयर में काजू के 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं और एक पेड़ से औसतन 20 किलो काजू मिलता है। इस प्रकार, एक हेक्टेयर में 10 टन काजू की पैदावार हो सकती है। इससे किसानों को अच्छी खासी कमाई हो सकती है। अधिक संख्या में पौधे लगाने पर लखपति ही नहीं बल्कि करोड़पति भी बना जा सकता है।

सरकार की सहायता

सरकार भी किसानों को काजू की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी और प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे किसानों को नई तकनीक और विधियों के बारे में जानकारी मिलती है जिससे उनकी पैदावार बढ़ती है और आय में बढ़ोतरी होती है।

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