Recent Posts

Breaking News

अब स्कूलों में माताओं को भी ट्रेनिंग, NCERT ने लांच किया ये कार्यक्रम

 

एनसीईआरटी ने प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए पहली शिक्षिक मां कार्यक्रम किया लांच

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बच्चों के सर्वांगीण विकास में माताओं की अहम भूमिका को लेकर सम्रग शिक्षा के तहत अब प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए पहली शिक्षक-मां कार्यक्रम शुरू होगा। इस प्रोग्राम के तहत बच्चों के साथ मां को भी ट्रेनिंग मिलेगी। एनसीईआरटी इस मॉडयूल पर काम कर रहा है। इसका मकसद यह है कि स्कूलों में बच्चों को जो भी टीचर द्वारा सिखाया जाता है, उसे घर पर भी प्रैक्टिस करवाया जा सके।बच्चे की पहली शिक्षक मां होती है और इसको लेकर प्रदेश भर में सम्रग शिक्षा के अंतर्गत प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए पहली शिक्षक-मां कार्यक्रम की शुरुआत की है।

इससे पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त करेंगे। इसके लिए पहली शिक्षक मां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सबसे अधिक सीखना बच्चों के पहले वर्षों में घर पर होता है। बच्चे घर पर काफी समय बिताते हैं और इसलिए परिवार, खासकर मां, बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा के समय में उसकी मुख्य शिक्षा हितधारक बनी रहती है।

क्या है प्रोजेक्ट का उद्देश्य

पहली शिक्षक मां कार्यक्रम में माताओं को बच्चों के साथ घर पर विकासात्मक (शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक-भावनात्मक, भाषा व सृजनात्मक) गतिविधियां करवाने एवं स्वास्थ्य, सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए जागरूक करने और बच्चों को स्कूल के वातावरण से परिचित करवाने में शिक्षकों की सहायता के लिए माताओं को समर्थ बनाना शामिल है। इससे उनका मानसिक विकास सही तरीके से हो सकेगा।

बच्चों का पहला स्कूल घर

शिक्षा विभाग का कहना है कि घर पर ही एक बच्चा सबसे पहले सामाजीकरण सीखता है। एक बच्चा पहले घर पर बहुत कुछ सीखता है। लेकिन आज, अधिकांश माता-पिता कमाने वाले हैं, इसलिए वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता पाते हैं। बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजा जाता है और अकसर उनके दादा-दादी द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाता है। ये बच्चे उन लोगों की तुलना में नुकसान में हैं, जो अपने माता-पिता के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एक बच्चा सीखता है कि क्या स्वीकार किया जाता है और क्या स्वीकार नहीं किया जाता है, क्या सही है और क्या नहीं, वे अपने परिवार के साथ पर्याप्त समय बिता सकते हैं। इससे उनकी बॉन्डिंग मज़बूत होती है और वह बड़ा होकर एक आत्मविश्वासी व्यक्ति बनता है।

No comments