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देश को हर साल 78.5 लाख नौकरियों की जरूरत

 


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, जीडीपी ग्रोथ सात फीसदी रहने का अनुमान


बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली है और महामारी के बाद इसमें मजबूत सुधार हुआ है। सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी लगभग सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि महामारी और उसके बाद के भू-राजनीतिक तनावों ने महंगाई के प्रबंधन में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी चुनौतियां पेश कीं। महामारी के कारण सप्लाई चेन पर असर पड़ा और वैश्विक संघर्षों के कारण वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी ने भारत को काफी प्रभावित किया। सरकार ने एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की। इससे रिटेल ईंधन महंगाई दर नीचे बनी रही। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इंडियन इकोनॉमी को बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉन-फार्म सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।

सर्वे में यह भी बताया गया है कि 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम है, फिर भी कई लोगों के पास आवश्यक स्किल का अभाव है। अभी, केवल 51.25 फीसदी युवा ही रोजगार योग्य है। आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट में मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है। ऐसे में महंगाई में गिरावट आ सकती है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 की तुलना में कम था, और वर्ष के लिए चालू खाता घाटा जीडीपी का लगभग 0.7 प्रतिशत है। जीडीपी विकास दर 2024-25 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। साल 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुमानित 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। आर्थिक सर्वे में दावा किया गया है कि सरकार द्वारा लगातार मजबूत सुधारों से देश की आर्थिक बढ़ोतरी की संभावनाएं मजबूत हुईं है। गौर हो कि वित्त मंत्री सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी।

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