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पेंशन रिवीजन में देरी पर जेल जाएंगे शिक्षा विभाग के अफसर

 

प्रदेश हाई कोर्ट ने दस जुलाई को सरेंडर करने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव को अफसरों के लिए निर्वाह भत्ता सुनिश्चित करने को कहा

पेंशन रिवीजन को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट में चल रहे एक केस में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के जेल जाने की नौबत आ गई है। हिमाचल हाई कोर्ट ने इन अधिकारियों को दस जुलाई को कोर्ट में सरेंडर करने को कहा है, ताकि इन्हें सिविल कारावास में भेजा जा सके। मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि इन अधिकारियों के लिए कारावास के समय के दौरान निर्वाह भत्ता यानी सबसिस्टेंस एलाउंस देने की व्यवस्था की जाए। एडिशनल एडवोकेट जनरल को कहा गया है कि इस बारे में चीफ सेक्रेटरी को सूचित कर दें। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने लछमन दास बनाम हिमाचल सरकार से संबंधित एग्जीक्यूशन पिटिशन में यह निर्देश दिए हैं। यह सुनवाई पांच जुलाई को हाई कोर्ट में हुई। कोर्ट ने पाया कि न तो इस जजमेंट को पूरी तरह लागू किया गया है, न ही संबंधित अधिकारी कोर्ट में मौजूद हैं।

पेशी से छूट की कोई एप्लीकेशन भी नहीं दी गई। कोर्ट ने इसे जानबूझकर आज्ञा के उल्लंघन के रूप में देखा, इसलिए जजमेंट में कहा कि फैसले को लागू करवाने के लिए बलपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है। केस के रिकॉर्ड के अनुसार इस मामले में शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और संबंधित डिप्टी डायरेक्टर पार्टी हैं। शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार याचिकाकर्ता के पेंशन रिवीजन का मामला कोर्ट में चल रहा था। फैसला उनके हक में आ गया था। इनका कुछ सर्विस पीरियड काउंट होना है, जिससे पेंशन में बढ़ोतरी होनी थी। शिक्षा विभाग ने इसके ऑर्डर भी कर दिए हैं, लेकिन डीडीओ ने अभी केस अकाउंटेंट जनरल ऑफिस को नहीं भेजा था। इस मामले में डाइट के प्रिंसिपल डीडीओ हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी ये सोचते रहे कि हमने अपने स्तर पर आर्डर इंप्लीमेंट कर दिया है, जबकि याचिकाकर्ता की पेंशन में रिवीजन अभी तक नहीं हुआ था। अब शिक्षा सचिव ने वित्त विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय को इस बारे में अवगत करवाया है। शनिवार को करीब चार विभागों के बीच इस जजमेंट को लेकर काफी हलचल थी।

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