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पेपर लीक लाभार्थियों का पता नहीं लगा तो…

 

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नीट यूजी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख; एनटीए, केंद्र और सीबीआई से मांगा हलफनामा


सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी’ 2024 को रद्द करने की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सख्त रूप अपनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक तो हुआ है, अब सरकार यह पता लगाए कि पेपर लीक से कितने छात्रों को फायदा हुआ है। पेपर लीक का फायदा उठाने वालों की पहचान नहीं हुई, तो परीक्षा रद्द कर दी जाएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में दायर कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेपर तो लीक हुए हैं, हम इससे इनकार नहीं कर सकते। अगर परीक्षा वाले दिन ही बच्चों को पेपर मिला था और उसे याद किया गया, तो इसका मतलब पेपर केवल स्थानीय स्तर पर ही लीक हुआ था, लेकिन अगर हमें यह पता नहीं चलता है कि कितने स्टूडेंट इसमें शामिल थे, तब दोबारा परीक्षा का आदेश देना पड़ेगा। हम यह जानना चाहते हैं कि पेपर लीक का दायरा क्या है और पेपर लीक का माध्यम क्या था। दो घंटे 20 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रहते हैं, लेकिन दोबारा परीक्षा पर निर्णय लेने से पहले हमें हर पहलू पर गौर करना होगा, क्योंकि हम जानते हैं कि हम 23 लाख छात्रों के भविष्य की बात कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार यानी 11 जुलाई को करेगा। कोर्ट ने 10 जुलाई की शाम पांच बजे तक एनटीए, केंद्र सरकार और सीबीआई को मामले में हलफनामा पेश करने को कहा है। कोर्ट ने एनटीए से उन उम्मीदवारों की पहचान करने को कहा है, जिन्हें नीट-यूजी पेपर लीक से फायदा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन केंद्रों/शहरों की पहचान करने को भी कहा है जहां पेपर लीक हुआ है। इससे पहले सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि गलत कृत्य करने वाले कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं। कोर्ट ने कहा कि हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक विवरण जानना चाहते हैं।

सीजेआई ने पूछा कि मान लें कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, लेकिन पेपर लीक करने वालों की पहचान करने के लिए क्या करेगी, क्योंकि जो हुआ, उसे हमें नकारना नहीं चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि हमारी साइबर फोरेंसिक टीम के पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है। क्या हम सभी संदिग्धों का एक डाटा तैयार नहीं कर सकते? इस परीक्षा में जो हुआ, वह आगे नहीं हो, क्या हम इसके लिए कदम नहीं उठा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर परीक्षा की पवित्रता खत्म हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। यदि दागी और बेदाग को अलग करना संभव नहीं है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना ही होगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि अगर पेपर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है, तो यह जंगल में आग की तरह फैल सकता है और बड़े पैमाने पर लीक हुआ हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम पूरी प्रक्रिया जानना चाहते हैं। दूसरी मामले में दर्ज एफआईआर की प्रकृति और पेपर लीक कैसे फैला इसकी भी जानकारी चाहते हैं। सीजेआई ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने गलत काम करने वालों की पहचान करने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि जिस किसी ने भी परीक्षा के नियमों का उल्लंघन किया है, उसे वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि सरकार ने इस बावत क्या कदम उठाए हैं।

गौरतलब है कि इन याचिकाओं में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) की पांच मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी और कदाचार का आरोप लगाया गया था और इसे रद्द कर फिर से आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने शुक्रवार को न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘गंभीर असर’ पड़ सकता है।

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