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भारतीय इतिहास में पांच सबसे विनाशकारी भू-स्खलन

 

केदारनाथ आपदा (2013)- केदारनाथ धाम में साल 2013 को विनाशकारी भू-स्खलन हुआ था। इसके पीछे की वजह अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ को बताया गया। देश में अब तक देखी गई सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से यह एक है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस त्रासदी में 5,700 से अधिक लोग मारे गए और 4,200 से अधिक गांव पानी में बह गए।

दार्जिलिंग (1968): पश्चिम बंगाल के सुंदर शहर दार्जिलिंग में चार अक्तूबर, 1968 को भू-स्खलन के बाद विनाशकारी बाढ़ आई। इस विनाशकारी आपदा में 1000 से अधिक लोग मारे गए और करोड़ों का नुकसान हुआ।

गुवाहाटी (1948) : सितंबर, 1948 को असम के गुवाहाटी में भारी बारिश के बाद अचानक हुए भू-स्खलन के बाद भारी तबाही आई। पूरा गांव इस त्रासदी में दफन हो गया। इस भयानक आपदा में कम से कम 500 लोग मलबे में जिंदा दफन हो गए।

मापला (1998): भू-स्खलन की एक और विनाशकारी घटना उत्तर प्रदेश के मापला में अगस्त, 1998 में घटी। सात दिनों तक लगातार बारिश के बाद हुए भू-स्खलन में 380 से अधिक लोगों की मौत हो गई और पूरा गांव दफन हो गया। यह घटना देश के इतिहास में सबसे विनाशकारी मानवीय त्रासदियों में से एक थी।

मालिन (2014) : महाराष्ट्र के मालिन गांव में 30 जुलाई, 2014 को भारी वर्षा के कारण भू-स्खलन हुआ, जिससे लगभग 151 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 100 से अधिक लोग लापता हो गए।

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