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Himachal News : निजी जमीन पर बना दिया नेरचौक मेडिकल कालेज, अब…

 

अदालत के आदेशों के बाद प्रशासन कर रहा भूमि की तलाश, पद्धर के फूलाधार में चिन्हित जमीन देने के विरोध में उठ खड़े हुए स्थानीय लोग

अमन अग्निहोत्री — मंडी

मंडी जिला के नेरचौक में बनाए गए मेडिकल कालेज की भूमि के बदले अब सरकार को 91 बीघा भूमि एक परिवार को वापस करनी पड़ रही है। नेरचौक में बनाया गया मेडिकल कालेज सरकारी भूमि पर नहीं, बल्कि नेरचौक के एक परिवार की निजी भूमि पर बना दिया गया है। वर्षों कोर्ट की लड़ाई के बाद प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस परिवार को भूमि के बदले भूमि देने के आदेश दिए हैं। इसके बाद मंडी प्रशासन ने भी 91 बीघा भूमि देने का केस बना कर सरकार को भेज दिया है। हालांकि कोर्ट के इन आदेशों को अमलीजामा पहनाना आसान नहीं है। प्रशासन को बड़ी मुश्किल से पद्धर में 91 बीघा भूमि एक साथ मिली है, लेकिन लोग इस भूमि को देने के विरोध में उतर आए हैं। बता दें कि 2000 के आसपास मेडिकल कालेज का निर्माण शुरू हुआ। उस समय अचानक से सामने आए एक शख्श मीर बख्श की ओर से प्रदेश उच्च न्यायालय में यह मामला दायर किया गया कि यह जमीन उसके पुरखों की है। दस्तावेजी सबूतों के आधार पर प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर यह याचिका सीडब्ल्यूपी नंबर 992-2002 मीर बख्श बनाम केंद्र सरकार व अन्य के मामले में नौ जनवरी, 2009 को आए निर्णय में सरकार को आदेश दिए कि मीर बख्श को 91 बीघे 16 बिस्वा पांच बिस्वांसी जगह उपलब्ध करवाई जाए। इसके बाद इस मामले में सरकार ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था, मगर वहां पर भी यही फैसला बरकरार रहा, लेकिन इसके बाद भी अब तक मीर बख्श को भूमि नहीं मिल सकी है। अब बताया जा रहा है कि इस मामले में न्यायालय ने कड़ा रूख अपनाते हुए सरकार को यह भूमि तुरंत देने के आदेश दिए हैं, लेकिन एक साथ 91 बीघे जगह उपलब्ध होना अपने आप में एक टेढ़ी खीर बन गया है।

जिसके बाद उपायुक्त मंडी की ओर से अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने एक पत्र सभी उपमंडल अधिकारियों को 30 मई, 2024 को लिखा गया और कहा गया कि कहीं भी 91 बीघा सरकारी जमीन उपलब्ध है, तो उसका केस तैयार किया जाए। ताकि उसे मीरबख्श को दिया जा सके। बीते दिनों जब दं्रग विधानसभा क्षेत्र के पद्धर उपमंडल के तहत झंटीगरी फू लाधार के पास कृषि विभाग की जमीन को लेकर उपमंडल प्रशासन ने मीरबख्श को अलॉट करने का केस भी अब बना दिया है और इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। हालांकि इस मामले का अब स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह जमीन किसी भी हालत में किसी को भी अलॉट नहीं करने दी जाएगी। उधर, एडीसी मंडी रोहित राठौर ने बताया कि पद्धर में उक्त परिवार को 91 बीघा भूमि देने का केस सरकार की मंजूरी को भेजा गया है। इधर, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं राजस्व मामलों के विशेषज्ञ बीआर कौंडल ने कहा कि संबंधित पक्ष को मुआवजा देकर सरकार इस मामले को न्यायालय की सहमति से निपटा सकती है, क्योंकि इतनी जमीन उपलब्ध करवाना वर्तमान में लोगों के विरोध को देखते हुए आसान काम नहीं है। (एचडीएम)

बंटवारे के समय हाथ से फिसली जमीन 77 वर्ष बाद मिलने की उम्मीद

कोर्ट में केस करने वाले शख्स ने दावा किया गया था कि 1947 के बंटवारे के दौरान उसके अधिकांश पूर्वज यहां से चले गए, मगर कुछ जो रह गए, उनकी अगली पीढिय़ों को पता चला कि नेरचौक मेडिकल कालेज आजकल जहां बना है, वह जमीन उनके पूर्वजों की है। दस्तावेज जुटाने के बाद मीर बख्श पुत्र सुलतान मोहम्मद गांव व डाकघर भंगरोटू ने इस मामले को प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर कर दिया। जानकारी के अनुसार 1947 के बाद सरकार ने इस जमीन को वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया था और बाद में वक्फ बोर्ड से यह जमीन केंद्र के नाम हो गई थी। अब 77 साल बाद मीर बख्श को जमीन मिलने की उम्मीद है।

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