तिल का तेल (Sesame Oil)
तिल और इसके तेल की प्रकृति भारी तथा गर्म होती है। यह चिकना होता है। तिलो से एक धुंधले पीले रंग का द्रव निकाला जाता है जिसे तिल का तेल या मीठा तेल कहा जाता है। इसकी गंध रुचिकर होता है। इस तेल में प्रोटीन आदि तत्व पाये जाते हैं। तिल के बीज और इसके तेल में सिसेमोलिन, सिमेमिआ, लाइपेज, प्रधानता, ओतिक, निकोटिनिक एसिड, पामिटिक, लिनोलीक एसिड तथा थोड़ा-सी मात्रा में स्टियरिक और अरेकिडिक एसिड के ग्लिसराइडस पाये जाते हैं। तिल कफ, पित्त को नष्ट करने वाला, शक्ति को बढ़ाने वाला, सिर के रोगों को ठीक करने वाला, दांतों के रोग को ठीक करने वाला तथा बालों की सभी समस्याओं को ठीक करने वाला होता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने तथा वात को नष्ट करने में लाभकारी होता है। यही नही  तिल के तेल से भी होते है ये 20 चमत्कारीक फ़ायदे, आइए जानते है इसके बारे में…

तिल के तेल (Sesame Oil) के 20 चमत्कारी फ़ायदे :

  1. बालों के रोग से छुटकारा 7 दिनो में : तिल के तेल की मालिश करने के 1 घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठंडा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सीने पर लपेट लें। इस प्रकार कम से कम 5 मिनट लपेटे रहने दें तथा इसके बाद ठंडे पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है तथा बालों के अन्य सभी समस्याएँ भी खत्म हो जाती हैं और बाल काले, घने और लम्बे होते है। ये उपाय गिरते बालों को 7 दिनो में रोक देता है। 
  2. फटी एड़ियां :  देशी पीला मोम 10 ग्राम और तिल का तेल 40 मिलीलीटर को मिलाकर गर्म करके पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बिवाई पर लगाने से लाभ मिलता है। या फिर तिल के तेल में मोम और सेंधानमक मिलाकर गर्म करें। इस तेल को फटी हुई एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ियों का फटना ठीक हो जाता है। 
  3. हृदय रोग : लगभग 10 मिलीलीटर तिल के तेल, 1 ग्राम नमक  तथा 15 से 30 मिलीलीटर दशमूल ( श्योनाक, बेल, खंभारी, अरलू, पाढ़ल, सरियवन, पिठवन, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी और गिलोय) का काढ़ा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। 
  4. साइटिका रोग : कुल्हे से पैर तक दर्द हो तो 50 मिलीलीटर तिल के तेल में 10 लहसुन की पुती को छीलकर गर्म करें। फिर उसे उतारकर ठंडा करके उससे मालिश करने से आराम मिलता है। 
  5. मोटापा : तिल के तेल की मालिश करने से शरीर पर चढ़ी फालतु की चर्बी कम होने लगती है। 
  6. त्वचा के रोग : 100 मिलीलीटर तिल का तेल और 100 मिलीलीटर हरी दूब का रस मिलाकर हल्की सी आग पर गर्म कर लें। जब यह पूरी तरह से गर्म हो जाये तो इसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। इसे लगाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। 
  7. बिस्तर पर पेशाब करना : तिल के तेल को पिलाने से बच्चे के द्वारा रात में पेशाब करने की बीमारी में लाभ होता हैं। 
  8. वात रोग : तिल के तेल की मालिश करने से वात रोग में लाभ मिलता है। 
  9. एक्जिमा : 1 मिलीलीटर तिल के तेल में 250 ग्राम कनेर की जड़ को जलाकर, तेल को छानकर रख लें। इस तेल को रोजाना साफ रूई से एक्जिमा पर सुबह और शाम लगाने से एक्जिमा ठीक हो जाता है। 
  10. खाज-खुजली तथा दाद : तिल के तेल में चमेली का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर खाज-खुजली पर लगाने से आराम मिलता है। 2 चम्मच तिल के तेल को गर्म करके उसमें तारमीरा का तेल मिला लें। फिर इसमें 2 चम्मच पिसी हुई राल और 1 चम्मच पीला मोम मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। 
  11. सूखा रोग : तिल के तेल की मालिश करने से शरीर की सूखा रोग कम हो जाती है। 
  12. सौंदर्य प्रसाधन : तिल का तेल सिर पर लगाने से बाल बढ़ने लगते हैं। तिल का तेल लगाने से रूसी खत्म हो जाती है। 
  13. पेट में दर्द या अफारा : तिल के तेल में हींग, सूंघनी या काला नमक मिलाकर गर्म करके पेट पर मालिश करने और सेंकने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है। 
  14. मुंह का रोग : सरसों का तेल, सफेद तिल, लोंग 5-5 ग्राम की मात्रा में मिलाकर मोटा-मोटा कूट लें। फिर इस कूटन को 150 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाए तब इसे छानकर इसमें आधी चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मुंह से लार गिरना बंद हो जाता है। 
  15. दांतों के रोग : तिल के तेल से 10-15 मिनट तक कुल्ला कुछ दिनों तक लगातार करने से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाते हैं और पायरिया भी ठीक हो जाता है। 
  16. कुष्ठ या कोढ़ : 6 ग्राम निर्गुण्डी की जड़ के चूर्ण को तिल के तेल में मिलाकर 1 महीने तक खाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
  17. आंतों का बढ़ना : काले तिल, अजवायन 3-3 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 7 दिनों तक प्रयोग करें। इससे लाभ मिलेगा।
  18. कान के रोग : तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर, गर्म करके, उसकी बूंदे कानों में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। 
  19. नाखून का जख्म : नाखून का जख्म अगर नाखून के फटने से हो तो उसके लिए 20 मिलीलीटर तिल का तेल, 10 मिलीलीटर सिरका और 5 ग्राम सरसों पिसी हुई मिलाकर गर्म करके मलहम बनाकर लगाने से नाखूनों का जख्म ठीक हो जाता है। 
  20. नाक के रोग : नाक की फुंसियों को ठीक करने के लिए तिल के तेल में पत्थरचूर के पत्तों के रस को मिलाकर नाक पर लगाएं।