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ब्रिटेन में 3 बच्चियों की चाकू से हत्या के बाद 9 शहरों में हिंसा, दुकानों में तोड़फोड़-आगजनी: प्रवासी लोग, फिलिस्तीनी झंडे और पलायन का जानिए कनेक्शन

 

ब्रिटेन में तीन बच्चियों की हत्या के बाद कई शहर हिंसा से झुलस रहे हैं। स्थानीय समय के अनुसार, शनिवार (3 अगस्त) की रात को कुछ उपद्रवियों ने कई शहरों में सड़कों पर दुकानों को आग लगा दी। यह देश में 13 साल में सबसे बड़ा दंगा बताया जा रहा है। दरअसल, हिंसा की यह आग तब भड़की जब उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड में तीन बच्चियों की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई। इसके कई वीडियो सामने आए हैं।

साउथपोर्ट में सोमवार (29 जुलाई 2024) को टेलर स्विफ्ट थीम वाली डांस क्लास में तीन लड़कियों- 6 वर्षीय बेबे किंग, 7 वर्षीय एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब और 9 वर्षीय एलिस डेसिल्वा अगुइआर की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। इसके 6 दिन के बाद ब्रिटेन के कम-से-कम नौ शहरों में हिंसा शुरू हो गई है। शुरू में अफवाह फैली की कि इस घटना को प्रवासी लोगों ने अंजाम दिया है।

बच्चियों की हत्या के विरोध में 22 प्रमुख कस्बों और शहरों में ‘एनफ इज एनफ’ यानी ‘बस बहुत हो गया’ का प्रदर्शन निकाला गया। प्रदर्शन के दौरान हजारों पुलिसकर्मी तैनात रहे। लोगों में अंदर ही अंदर गुस्सा पनपता रहा और आखिरकार शनिवार को ब्रिटेन के लिवरपूल, मैनचेस्टर, सुंदरलैंड, पोर्ट्समाउथ, हल, ब्लैकपूल, ब्रिस्टल, बेलफास्ट स्टोक, नॉटिंघम और लीड्स में दंगा भड़क उठा।

इस दौरान दंगाइयों दुकानों में जमकर लूटपाट और तोड़फोड़ की। सामानों को सड़कों पर फेंक दिया और दुकानों में आग लगा दी। दंगाइयों ने जूते की दुकानों से लेकर शराब की दुकानों तक, किसी को भी नहीं छोड़ा। सड़कों पर लगी हुई स्ट्रीट लाइटों में भी तोड़फोड़ की। खंभों को उखाड़ने की कोशिश की और बैरिकेटिंड को ध्वस्त कर दिया। पुलिस ने लगभग 200 दंगाइयों को गिरफ्तार किया है।

उत्तरी आयरलैंड के बेलफ़ास्ट में जारी प्रदर्शनों के बीच पागलपन भरे दृश्य भी देखने को मिले। सामने आए वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रदर्शन के दौरान एक तरफ़ ब्रिटिश और आयरिश राष्ट्रवादी ब्रिटिश और आयरिश झंडे लेकर खड़े दिखाई दिए तो दूसरी तरफ़ फ़िलिस्तीनी और एंटीफ़ा झंडे लिए प्रदर्शनकारी दिखाई दिए। इस वीडियो को लोग सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं।

हिंसा को देखते हुए ब्रिटेन की सरकार ने आपातकालीन बैठक बुलाई है और हिंसा को नियंत्रित करने पर चर्चा की। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठी चार्ज किया है। इसमें कई लोग घायल हो गए हैं। भीड़ में 18 से लेकर 58 साल तक के लोग शामिल हैं। हत्या को लेकर विरोध मार्च आगे भी प्रस्तावित है, जिसको लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क है।

दरअसल, इस सप्ताह सबसे पहला दंगे साउथपोर्ट में हमलावर की पहचान की अफवाह को लेकर भड़का था। यह अफवाह फैलाई गई कि हमलावर एक प्रवासी था। हालाँकि, पुलिस ने बताया कि संदिग्ध व्यक्ति कार्डिफ़ में पैदा हुआ था। इसके बाद हिंसा को शांत करने के प्रयास में जज ने 17 वर्षीय संदिग्ध की पहचान उजागर करने का फ़ैसला सुनाया।

इसके बाद बुधवार (31 जुलाई) को मर्सीसाइड शहर में चाकू से हमला करने वाले किशोर के रूप में एक्सेल मुगनवा रुदाकुबाना का नाम सामने आया। दरअसल, न्यायाधीश ने उसके 18वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले उसकी रिपोर्टिंग पर से प्रतिबंध हटा दिए थे। बता दें कि 18 वर्ष से कम आयु के लोगों के नाम का खुलासा करने की इजाजत नहीं है।

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