.कौन हैं नाहिद इस्लाम समेत 3 चेहरे जिनके कारण बांग्लादेश में हुआ तख्तापलट: अब बोले- सेना वाली सरकार मंजूर नहीं, अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस बनें PM
बांग्लादेश में बीते दिनों आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए छात्र आंदोलन ने मुल्क में तख्तापलट करवा दिया है। ऐसे में कई सारे सवाल हैं जो लोगों के जहन में आ रहे हैं लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये कि आखिर इस प्रदर्शन की शुरुआत की किसने और कौन इसके पीछे था।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस पूरे प्रदर्शन के पीछे ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तीन छात्रों का हाथ था। ये तीन छात्र बांग्लादेश में शुरू हुए आरक्षण विरोधी प्रदर्शन का प्रमुख चेहरा थे। इनके नाम नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार हैं। इन तीनों की उम्र 25 के आसपास है। इनमें से नाहिद इस्लाम ढाका यूनिवर्सिटी का छात्र हैं। इसके साथ ही नाहिद को मानवाधिकार एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है। नाहिद इस्लाम छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के को-ऑडिनेटर भी हैं। वहीं अबू मजूमदार ढाका यूनिवर्सिटी में भूगोल पढ़ते हैं और आसिफ महमूद भाषाशास्त्र।
इन तीनों ने ही आरक्षण के विरोध में भीड़ इकट्ठा करके प्रदर्शन करना शुरू किया। 19 जुलाई को पुलिस ने इन्हें पकड़कर इनसे पूछताछ भी की। हालाँकि फायदा कोई नहीं हुआ। 26 जुलाई को ये रिहा हुए तो बताया कि पुलिस ने हिरासत में रखखर इन्हें उत्पीड़ित किया। इसके बाद और लोग इनसे जुड़े। आंदोलन और तेज होना शुरू हुआ और 10 दिन बाद ही क्या हुआ आज नतीजा सबके सामने है।
हसीना सरकार जाने के बाद इन तीन लड़कों ने ऐलान किया है कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डॉ यूनस अंतरिम सरकार के मुखिया होंगे। पहले उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, “हम सेना द्वारा नामित बांग्लादेश अंतरिम सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे। हम बातचीत के बाद एक रूपरेखा प्रस्तावित करेंगे। हमें सरकार के गठन में दिलचस्पी नहीं है। हम अपनी क्लास में लौटेंगे लेकिन कठपुतली सरकार को झेलकर हम 300 लोगों के शहीदों के खून का मजाक नहीं बनने देंगे।”
शेख हसीना के बेटे ने ऐलान कर दिया है कि वो लोग अब लौटकर बांग्लादेश नहीं जाएँगे। उनका परिवार थक गया है देश की रक्षा करते हुए। अब देश अपनी समस्या खुद संभाले। उन्होंने जानकारी दी है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है।
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