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चीन पर सबसे बड़े डिजिटल स्ट्राइक की तैयारी, 400 कंपनियों पर गिर सकती है गाज: मनी लॉन्ड्रिंग का शक, लोन वाले एप रडार पर

 

भारत से पैसों की उगाही कर चीन भेजने के मामले में सरकार सख्त कदम उठा रही है। भारत सरकार अगले 3 माह में सिस्टमेटिक तरीके से 400 चीनी कंपनियों पर ताला लगाने वाली है। इन कंपनियों पर भारत में अवैध तरीके से काम करने, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। ऐसी कंपनियाँ देश के 17 राज्यों में हैं, जो ऑनलाइन लोन, जॉब पोर्टल की शक्ल में काम कर रही हैं और भारतीय पैसों को अवैध तरीके से चीन भेज रही हैं।

इन कंपनियों में डायरेक्टर तो भारतीय हैं, लेकिन पैसे चीनी कंपनियों के लगे हुए हैं। कुछ कंपनियों में पैसों का डायवर्जन किया गया है, इसका मतलब है कि फंडिंग उन्होंने किसी और काम को दिखाकर लिया है, लेकिन मार्केट में काम कुछ और कर रही हैं।

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने मोबाइल स्क्रीन और बैटरी बनाने वाले लगभग 40 चीनी कंपनियों के खिलाफ भी जाँच शुरू की है। सूत्रों ने दावा किया है कि लगभग 600 चीनी कंपनियाँ जाँच के दायरे में आई थी। इनमें से 300 से लेकर 400 कंपनियों का कामकाज संदिग्ध पाया गया है। इन पर कार्रवाई होना लगभग निश्चित हो चुका है। इनमें लोन एप और ऑनलाइन जॉब ऑफर करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं।

कुछ कंपनियों में एक भारतीय डायरेक्टर होता है, लेकिन उनका बैंक अकाउंट चीन में होता है और कोई लेनदेन दर्ज नहीं होता है। कुछ मामलों में, कंपनियां अपने पंजीकृत कार्यालयों पर उपलब्ध नहीं होती हैं। कुछ अन्य मामलों में, निवेश तो है, लेकिन वे अन्य व्यवसायों में लगे हुए हैं, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी का संकेत मिलता है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डिजिटल लोन देने वाली कंपनियां पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी हैं। ये आरबीआई की गाइडलाइन्स का पालन नहीं कर रही हैं। इसके चलते कई कस्टमर धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं, साथ ही इस तरह के लोन देने वाली कंपनियाँ लोगों का मानसिक शोषण भी करने लगती हैं। ये काफी भारी रेट पर ब्याज वसूल रही हैं। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार की तरफ से यह जाँच शुरू की गई थी। इसी तरह फर्जी जॉब ऑफर देकर भी लोगों को फंसाया जा रहा है।

प्रक्रिया को पूरा करने में लगता है तीन माह तक का समय

कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया कंपनी अधिनियम की धारा 248 के तहत 3 महीनों में होती है, जिसमें पहले एक नोटिस भेजा जाता है, उन्हें जवाब देने का समय दिया जाता है। एक महीने के बाद, दूसरा नोटिस भेजा जाता है। यदि तब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो कंपनी को बंद कर दिया जाता है।

बता दें कि इससे पहले भी भारतीय सरकार ने ऐसे कड़े कदम उठाए हैं। 2020 में, टिकटॉक और वीचैट सहित 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया था। ये ऐप्स डेटा सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित चिंताओं के कारण प्रतिबंधित किए गए थे। इसी तरह 2021 में 43 और चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया था।

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