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..76 साल का हुआ केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान

 

1956 में पटना से शिमला लाया गया था संस्थान; आलू की 76 किस्में की विकसित, 25 से ज्यादा पेटेंट  

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है और शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान का इसमें बड़ा योगदान रहा है। आज यह संस्थान अपना 76वां स्थापना दिवस मना रहा है। मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ इसका स्थापना दिवस मनाया गया और इस अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मुख्य अतिथि रहे। आलू हमारी देशज फसल नहीं है और यह 1610 के आसपास साउथ अमरीका से विश्व के अन्य क्षेत्रों में पहुंचा था। शुरुआत में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान बिहार के पटना में सन् 1949 में स्थापित किया गया था लेकिन जलवायु से संबंधित कारणों के कारण सन् 1956 में यह शिमला में लाया गया। आज इस संस्थान ने आलू की 76 किस्मों का विकास सभी जलवायु क्षेत्रों के हिसाब से किया है। आलू भारत की प्रमुख सब्जी फसल है जो कुल सब्जी उत्पादन में लगभग 28 प्रतिशत का योगदान देता है।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है जिसका वैश्विक आलू उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत, आलू और इसके उत्पादों के निर्यात मूल्य में 20 अरब रुपए से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। हिमाचल में लगभग 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती होती है, जिससे लगभग दो लाख टन का उत्पादन होता है। यह राष्ट्रीय औसत से कम है लेकिन गुणवत्ता में अच्छा और बेजोड़ होने के कारण यह किसानों को अच्छी आय दिलाने में मदद करता है। प्रजातियों और तकनीकों की भौतिक संपदा के संरक्षण के लिए संस्थान के प्रयास सराहनीय रहे हैं। संस्थान द्वारा 25 से ज्यादा पेटेंट हासिल किए जा चुके हैं।

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