फाड़ डाला ‘बंगबंधु’ का नाम, जानिए कौन थे हजरत इब्राहिम जिन्हें घोषित किया ‘बांग्लादेश का राष्ट्रपिता’: दिया जाता है अरब को ‘बूतों’ से मुक्त कराने का श्रेय
असल में गुरुवार (8 अगस्त, 2024) को मदरसा छात्रों की एक भीड़ ने ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में शेख मुजीबुर रहमान का नाम हटा कर वहाँ पैगंबर इब्राहिम का नाम लिख दिया। बता दें कि शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान को ‘बंगबंधु’ कहा जाता रहा है। अब शेख हसीना को इस्तीफा देकर मुल्क छोड़ना पड़ा है, शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियाँ तोड़ी जा रही हैं, मूर्तियों पर पेशाब भी किया जा रहा है। अब भीड़ ने ढाका-भंगा एक्सप्रेसवे का नाम बदलते हुए पैगंबर इब्राहिम को राष्ट्रपिता लिखा। ये बांग्लादेश का पहला एक्सप्रेसवे है।
शेख मुजीबुर रहमान के नेमप्लेट को फाड़ डाला गया और उनकी जगह ‘हजरत इब्राहिम (AS) एक्सप्रेसवे’ नए नाम के रूप में लिख दिया गया। वैसे ये सिर्फ एक प्रतीकात्मकता नहीं है, इसके पीछे एक सन्देश निहित है। बांग्लादेश में धीरे-धीरे कट्टरपंथी संगठनों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। सरकार विरोधी हिंसा के रूप में पुलिसकर्मियों को निशाना बना कर उनकी हत्याएँ की गईं, अब यही इस्लामी कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों को ‘सुरक्षा’ दिए जाने की बातें कर रहे हैं।
BNP नेताओं मोहम्मद एहसानुल्लाह और मोरशदल अमीन फैसल ने कहा कि नोआखली स्थित बेगमगंज चौकी पर पुलिस को जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सुरक्षा दे रही है। बता दें कि बेगमगंज पुलिस थाने पर ही इस्लामी भीड़ ने हमला किया था। इससे पता चलता है कि जिन संस्थाओं पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वो खुद अपनी जान को लेकर डरे हुए हैं और इस्लामी गिरोह के शरण के भरोसे हैं। BNP और JeI के 2200 दंगाइयों को जमानत पर रिहा किया गया है। जमात-ए-इस्लामी उत्तर-पूर्व भारत को शेष भारत से अलग करने का इरादा रखता है।
आइए, अब आपको बताते हैं कि ‘हजरत इब्राहिम’ कौन थे। इस्लाम में उन्हें सबसे बड़े महापुरुषों में से एक में रखा जाता है, इराक के बेबीलॉन में उनका जन्म हुआ था। वो ‘बुतपरस्ती’ के खिलाफ थे, पत्थर और लकड़ी से बनी मूर्तियों का विरोध करते थे। कथा कुछ यूँ है कि एक रात अल्लाह ने सपने में उनसे उनके एकलौते बेटे को बलिदान के रूप में माँगा। माउंट अराफात पर वो अपने बेटे इस्माइल को लेकर गए, इस्माइल का भी अल्लाह में यकीन था और वो भी तैयार हो गए, लेकिन ऐन मौके पर अल्लाह ने हस्तक्षेप किया और उन्हें रोका, वो परीक्षा में पास हुए।
फिर अल्लाह ने उन्हें एक भेड़ दिया, क़ुरबानी के लिए। उनकी याद में मुस्लिम आज भी ईद-उल-अज़हा बनाते हैं। इस दिन मुस्लिम दुनिया भर में करोड़ों पशुओं की क़ुरबानी देते हैं, फिर उन्हें खाते हैं। इस्लाम में बाद में इस्माइल को भी पैगंबर का दर्जा मिला। पैगंबर मुहम्मद को हजरत इब्राहिम का प्रपौत्र बताया जाता है। काबा और मक्का को इन्हीं पिता-पुत्र (इब्राहिम और इस्माइल) द्वारा निर्मित किया गया माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने अरब क्षेत्र को ‘बूतों’ से मुक्त किया। ‘हज यात्रा’ की शुरुआत इस्माइल ने ही की थी। इनका बाइलबिल में भी जिक्र है।
No comments