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बांग्लादेश से भारतीय सीमा पर पहुँचा शरणार्थियों का पहला जत्था, सभी गरीब और पिछड़े समूह के: दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भी इस्लामी क्रूरता के खिलाफ उठाई आवाज़

 

बांग्लादेश में सत्ता विरोधी आंदोलन को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और मुल्क छोड़ने के साथ ही खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन इसने आखिरकार हिन्दू विरोधी दंगों का रूप ले लिया। हिन्दू पार्षद और पत्रकार की हत्या की गई, ISKCON और काली मंदिरों पर हमले किए गए और हिन्दुओं को वहाँ से भगाया जाने लगा। इसके साथ ही प्रताड़ित हिन्दू शरणार्थियों का पहला जत्था भारतीय सीमा पर पहुँच गया है। दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भी इस वीडियो पर ‘!!’ लिख कर दुःख जताया है।

पोलैंड के मीडिया संस्थान ‘Visegrád 24’ ने इसका वीडियो शेयर किया, जिस पर ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) के मालिक एलन मस्क ने रिप्लाई दिया। ‘Visegrád 24’ ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “बांग्लादेश से पहले हिंदू शरणार्थी उत्तरी बांग्लादेश में भारत की सीमा पर पहुँचे। इस्लामवादियों द्वारा हिंसा से प्रभावित हज़ारों हिंदू अपने गाँवों से बाहर निकाले जाने के बाद भारत की ओर बढ़ रहे हैं, जो बांग्लादेशी हिंदुओं ने 1971 के बाद से पहले कभी नहीं देखा था।” ISKCON के प्रवक्ता राधारमण दास ने भी हिन्दुओं के लिए आवाज़ उठाने हेतु एलन मस्क को धन्यवाद दिया है।

उन्होंने लिखा, “बांग्लादेशी हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों की चीखें सुनने के लिए एलन मस्क का बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया उनकी चीखें सुनें ताकि बहरी दुनिया अपनी नींद से जाग सके।” इस दौरान लोगों ने रिप्लाई में एलन मस्क को ये जानकारी भी दी कि भारत में बांग्लादेशी हिन्दुओं के लिए आवाज़ उठाने वाले ‘X’ हैंडलों को प्रतिबंधित किया जा रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि बांग्लादेश से भारतीय सीमा पर शरण के लिए पहुँचे हिन्दुओं में अधिकतर ग़रीब हैं, पिछड़े हैं।

उधर बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने ‘एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट’ के प्रतिनिधियों के साथ ‘बंग भवन’ में मुलाकात की। अंतरिम सरकार के गठन को लेकर छात्र नेताओं ने राष्ट्रपति के साथ चर्चा की। 16 जुलाई से लेकर अब तक 500 लोगों के मारे जाने की खबर है। बांग्लादेश में 15 साल की तानाशाही का अंत बता कर इस आंदोलन को सफल बताया जा रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार हो सकते हैं। वो अमेरिका के करीबी हैं। इस आंदोलन में भी अमेरिका का हाथ बताया जाता है।

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