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बेटी से कर रहा था रेप की कोशिश, बीवी ने सिर पर हथौड़े से वार कर मार डाला..........

 

इस दौरान आरोपित महिला ने अपने पति को बेटी के ऊपर से खींचकर दूर करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं हटा। इसके बाद महिला ने अपने पति को लकड़ी के चाकू से उसके सिर पर मारा। इस पर उका पति नहीं माना और कुकृत्य जारी रखा तो महिला ने पीछे से उसके सिर पर हथौड़ा मार दिया। इससे उसके पति की मौके पर ही मौत हो गई। महिला पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया था।

हत्या का मामला दर्ज किए खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 97 के तहत यह मामला खुद के बचाव से संबंधित था। इसलिए, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उस पर हत्या का मुकदमा चलाना अनुचित है। उसने कोर्ट से हत्या का मामला हटाने का आग्रह किया।   

अदालत ने इसके ‘सामान्य अपवादों’ पर विचार किया और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति आत्मरक्षा और दूसरे व्यक्ति को बचाने का अधिकार रखता है। कोर्ट ने कहा, “कोई भी व्यक्ति खुद को या किसी को ऐसे यौन अपराधों से बचाने के लिए IPC की धारा 97 के तहत निजी बचाव का अधिकार रखता है। भले ही अपराध स्वीकार कर लिया गया हो, लेकिन उसे दंडित किए जाने से छूट दी जाएगी।”

इस मामले में कोर्ट ने मृतक की बेटी के बयान के साथ-साथ अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई तस्वीरों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला दिया। इसमें दिखाया गया था कि मृतक के सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी थी। कोर्ट ने कहा, “मृतक नशे में अपनी बेटी के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की। बेटी की इज्जत बचाने के लिए याचिकाकर्ता, जो लड़की की माँ है, ने ये अपराध किया है।”

न्यायालय ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह हस्तक्षेप करने के लिए उपयुक्त मामला था। इसलिए कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और महिला के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता महिला की ओर से कोई भी अदालत में पेश नहीं हुआ था।

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