मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की आपत्तियाँ, हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर होगी सुनवाई
मथुरा के विवादित शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की हिन्दू पक्ष के मुकदमों को दी गई चुनौती को ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि हिन्दू पक्ष की तरफ से दायर सभी मुकदमे सुने जा सकते हैं।
गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया है। हाई कोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की बेंच ने कहा है कि हिन्दू पक्ष की तरफ से दाखिल 18 मुकदमों को उनकी मेरिट के आधार पर सुना जाएगा और यह सभी कोर्ट में सुने जाने योग्य है।
हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह कमिटी की इस चुनौती को खारिज किया कि यह मुकदमे इसलिए नहीं सुने जा सकते क्योंकि यह पूजा स्थल अधिनियम के विरुद्ध हैं। कोर्ट ने कहा कि इन पर यह कानून लागू नहीं होता। कोर्ट ने यह निर्णय 6 जून, 2024 को सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले से हिन्दू पक्ष को बल मिला है।
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में यह भी दावा किया था कि जो भी याचिकाएं कृष्णजन्मभूमि के लिए डाली गई हैं, वो मामले से सीधे तौर पर ना जुड़े हुए लोगों ने डाली है। मुस्लिम पक्ष ने इसी के साथ दावा किया था कि उसका और हिन्दू पक्ष का 1968 में समझौता हो चुका है, ऐसे में अब इन याचिकाओं का कोई महत्व नहीं है।
कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की यह दलील भी नहीं मानी। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह मस्जिद वक्फ की सम्पत्ति है। इस पर हिन्दू पक्ष ने इस बात के सबूत दिखाने को कहा है कि इसे वक्फ को किसने दान किया था। हिन्दू पक्ष ने यह भी कहा कि वक्फ की यह आदत रही है कि वह जमीनों पर कब्जा करके उनके उपयोग में बदलाव करती है।
हिन्दू पक्ष की जिन याचिकाओं को कोर्ट ने आज सुनने लायक माना है उनमें कई तर्क दिए गए हैं। हिन्दू पक्ष का कहना है कि जिस 2.5 एकड़ के इलाके पर यह शाही ईदगाह बना हुआ है, वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का हिस्सा है। इसी के साथ हिन्दू पक्ष ने यह भी दावा किया है कि मुस्लिमों के पास इसका कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
हिन्दू पक्ष ने कहा है कि इस जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव के पास है और साथ ही यह संरक्षित स्मारक भी है ऐसे में इस पर पूजा स्थल अधिनियम लागू नहीं होगा। हिन्दू पक्ष का आरोप है कि बिना प्रक्रिया के ही इस जमीन को वक्फ बोर्ड ने हथिया लिया है। हिन्दू पक्ष यहाँ पूजा अर्चना की अनुमति भी चाहता है। वहीं मुस्लिम पक्ष चाहता है कि इस जमीन को लकर सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में ही हो।
गौरतलब है कि यह शाही ईदगाह वर्तमान में विवादित है और इसको लेकर न्यायालयों में कई याचिकाएँ पड़ी हुई हैं। हिन्दू पक्ष का कहना है कि मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के बराबर में बनी शाही ईदगाह वाला ढाँचा जबरन वही बना दिया गया जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस जगह पर कब्जा करके ढाँचा बनाया गया है। यहाँ अभी भी कई ऐसे सबूत हैं जो कि यह सिद्ध करते हैं कि यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था और यह जन्मस्थान शाही ईदगाह के वर्तमान ढाँचे के ठीक नीचे है। सन् 1670 में मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने मथुरा पर हमला कर दिया था और केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करके उसके ऊपर शाही ईदगाह ढाँचा बनवा दिया था और इसे मस्जिद कहने लगे। 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए हिन्दू यहाँ से शाही ईदगाह ढाँचे को हटाने की माँग करते रहे हैं।
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