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पॉलीग्राफ टेस्ट: पूर्व प्रिंसीपल सहित चार प्रशिक्षुओं का भी होगा पॉलीग्राफ टेस्ट.......................

 

सीबीआई ने सौंपी स्टेटस रिपोर्ट; कहा, सबूतों से छेड़छाड़ हुई

सुप्रीम कोर्ट बोला, 30 साल में पुलिस की ऐसी लापरवाही नहीं देखी

कोलकाता रेप एवं मर्डर केस में अब कुल छह लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट होगा। गुरुवार को सीबीआई को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसीपल डा. संदीप घोष के साथ चार ट्रेनी डाक्टर्स के पॉलीग्राफ टेस्ट की भी मंजूरी मिल गई है। गुरुवार को सीबीआई संदीप घोष के अलावा चार अन्य ट्रेनी डाक्टर्स को लेकर कोर्ट पहुंची थी, जिन्होंने मृतका के साथ आखिरी बार डिनर किया था। इससे पहले सीबीआई ने मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी अनुमति ली थी। आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट कब किया जाना है, इस पर शुक्रवार को फैसला होना है। उधर, गुरुवार को मामले मेें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सीबीआई ने केस की स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि नौ दिन की जांच में अब तक क्या जानकारी मिली है। सीबीआई ने कहा कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार पर तीखे सवाल दागते हुए कहा कि एफआईआर देर रात साढ़े 11 बजे दर्ज क्यों की गई। इसको कैसे जस्टिफाई करेंगे।

क्या कारण है कि एफआईआर 14 घंटे देरी से दर्ज की गई। कालेज के प्रिंसीपल को सीधे कालेज आकर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी, वह किसका बचाव कर रहे हैं? उन्होंने इस्तीफा दिया, तो दूसरे कालेज का काम सौंप क्यों दिया? जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि ाज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा। मामले में अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी। उधर कोलकाता पुलिस ने भी 14-15 अगस्त की रात अस्पताल में हुई तोडफ़ोड़ की जांच रिपोर्ट सौंप दी है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तारीख निर्धारित की और सीबीआई तथा पश्चिम बंगाल सरकार की स्थिति रिपोर्ट को फिर से सील करने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले में जुड़े पक्षकारों (केंद्र और बंगाल सरकार) को इस मसले का राजनीतिकरण नहीं करने की भी सलाह दी है। कोर्ट ने ये भी कहा कि विरोध प्रदर्शन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।


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