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Cloud Burst: मर्फी, माया और मैगी तैनात, ऐसे हो रही मलबे में 15 फुट नीचे इनसानों की तलाश

 


भूस्खलन से तबाह हुए इलाकों में लापता लोगों का पता लगाने में दस से पंद्रह फुट मलबे के नीचे से भी मानव शरीर की गंध सूंघने में सक्षम और खोज तथा बचाव कार्यों (एसएआर) के लिए वायनाड में विशेष रूप से प्रशिक्षित दस श्वानों का एक दस्ता खोज अभियान में सक्रिय रूप से सहायता कर रहा हैं। सूत्रों ने बताया कि इसके अतिरिक्त, मिट्टी और पानी में 30 मीटर की गहराई तक शवों का पता लगाने के लिए ड्रोन-आधारित राडार का भी उपयोग किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि सेना की एलीट कैनाइन यूनिट के तीन श्वान, केरल पुलिस के तीन और तमिलनाडु के चार श्वान बचाव अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं। बेल्जियन मैलिनोइस, लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड जैसे विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान दल में शामिल हंै।

केरल पुलिस ने तलाश अभियान के लिए तीन कुत्तों – मर्फी, माया और मैगी को तैनात किया है, जबकि सेना के जैकी, डिक्सी और सारा लैब्राडोर रिट्रीवर नस्ल के हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ कैंट में आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज की डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी (डीटीएफ) देश में सेना के श्वानों के लिए सबसे पुरानी प्रशिक्षण अकादमी है। इस संकाय को श्वान प्रशिक्षण में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया गया है। यह श्वानों की नौ अलग-अलग विशिष्टताओं को प्रशिक्षित करता है, जिसमें खोज और बचाव भी शामिल हैं। वायनाड में जो श्वान लाये गए हैं, वे विशेषज्ञ खोज और बचाव (एसएआर) श्वान हैं, जिन्हें मलबे के नीचे मानव गंध की पहचान करने और संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभालने के योग्य होने के लिए उन्हें 12 सप्ताह के बुनियादी प्रशिक्षण और फिर 24 सप्ताह के विशेष प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। ये श्वान 10-12 फुट मलबे के नीचे से भी इंसान के शरीर की गंध सूंघने में सक्षम हैं। इंसान की गंध सूंघकर ये कुत्ते अपने मालिक को भूस्खलन के मलबे के नीचे दबे इंसानों की मौजूदगी का संकेत देते हैं, जहां अन्य उपकरण खोदकर जीवित या मृत शरीर निकाल सकते हैं। इन कुत्तों का प्रयोग पहले भी बड़ी सफलता के साथ किया जा चुका है। इस बीच, शुक्रवार से छह जोन में तलाशी के लिए 40 खोज टीमें गठित की गई हैं।

पहले क्षेत्र में अट्टामाला और अरनमाला शामिल हैं। मुंडकाई दूसरा जोन है, अमलीमट्टम तीसरा जोन है, वेल्लारमाला विलेज रोड चौथा जोन है, जीवीएचएसएस वेल्लारमाला पांचवां जोन है और अतिवारा छठा जोन है। प्रत्येक टीम में तीन स्थानीय लोग एक वन विभाग का कर्मचारी और सेना, एनडीआरएफ, डीएसजी, तटरक्षक बल, नौसेना, एमईजी के सदस्य होंगे। पुलिस और स्थानीय तैराकों के सहयोग से टीमें आठ थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले चालियार नदी क्षेत्रों के 40 किलोमीटर के क्षेत्र में भी खोज करेंगी। पुलिस हेलिकॉप्टर का उपयोग करके समानांतर खोज की जाएगी। इसके साथ ही तटरक्षक बल, नौसेना और वन विभाग नदी के किनारे और उन जगहों पर तलाशी करेंगे जहां शवों के होने की आशंका है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, वायनाड में मेप्पडी के पास पहाड़ी इलाकों में भारी भूस्खलन के बाद मरने वालों की संख्या बढक़र 289 हो गई है और 240 लोग अब भी लापता हैं। इसके अलावा 213 से अधिक लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।


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