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Himachal News: अब पंचायत घर नहीं, यह कहिए…

 

 

भवन का नाम बदला, फोरेस्ट क्लीयरेंस के नियमों के चलते बड़ा फेरबदल

भारत को गांवों का देश भी कहा जाता है और देश भर में मिनी संसद यानि ग्राम पंचायत का अपना विशेष महत्त्व है। ग्राम पंचायतों के संचालन के लिए ग्राम पंचायत घर हर पंचायत की विशेष पहचान होती है। पंचायत घर नाम से ही लोगों को अपनेपन व लगाव भी है, लेकिन अब पंचायत घर का नाम बदलकर सामुदायिक केंद्र कर दिया गया है। प्रदेश भर में कई स्थानों पर वन विभाग की भूमि पर पंचायत घर बनाने के लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस के नियमों के चलते बड़ा फेरबदल करना पड़ा है। पंचायत घर शब्द आ जाने से वन विभाग की ओर से फोरेस्ट क्लीयरेंस न मिलना इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। अब पंचायत घर की बजाय सामुदायिक केंद्र नाम किए जाने से वन विभाग की भूमि पर एफसीए व डीएफओ स्तर पर भी कई स्थानों पर निर्धारित भूमि की क्लीयरेंस मिल पा रही है। ऐसे में पंचायत घर से नाम बदलकर सामुदायिक भवन किए जाने से कई पंचायतों में आसानी से फोरेस्ट क्लीयरेंस मिलने के बाद सामुदायिक केंद्र बनाए जा रहे हैं।

एक छत के नीचे ही पंचायत प्रतिनिधियों, सचिवों, पटवारखाना, चिकित्सालय लोकमित्र केंद्र, जिसमें मिनी बैंक, पुस्तकालय सहित पंचायत के संबंधित कार्यालय बनाए जाएंगे। वहीं एक कनाल भूमि उपलब्ध न होने पर सामुदायिक केंद्र निर्माण के लिए 33 लाख रुपए का बजट प्रदान किया जा रहा है, जिसमें भी लोकमित्र केंद्र खोले जाना अनिवार्य है। इस संबंध में सभी जिलों के पंचायत अधिकारियों व प्रतिनिधियों को भी ज़मीन तलाशने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिला पंचायत अधिकारी कांगड़ा श्रवण कुमार ने बताया कि पंचायत घर का नाम बदलकर अब सामुदायिक केंद्र किया गया है। इससे वन विभाग की फोरेस्ट क्लीयरेंस में घर शब्द न आने से क्लीयरेंस मिलने की सुविधा हो रही है। (एचडीएम)

एक छत के नीचे कई कार्यालय

सामुदायिक केंद्र संबंधित पंचायत का नाम के निर्माण के लिए एक कनाल भूमि उपलब्ध होने की शर्त पूरा करने पर एक करोड़ 14 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है, जिससे एक ही छत के नीचे पंचायत कार्यालय, बैठक कक्ष, ग्रामीण कोर्ट, पटवारखाना, हेल्थ सेंटर, लोकमित्र केंद्र, पशु चिकित्सालय पुस्तकालय के साथ-साथ दूसरे विभागों से जुड़े कार्य अथवा गतिविधियों के लिए समुचित व्यवस्था हो सके।

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