सरकार से पैसे लेने के लिए फ्रॉडगिरी पर उतरे MP के मदरसे, हिंदू बच्चे ही नहीं इंजीनियर-डॉक्टरों का भी दिखाया एडमिशन: 100 बच्चों पर मिलते हैं ₹50 हजार
मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, श्योपुर, रीवा आदि जिलों के मदरसों में सरकारी अनुदान हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। मदरसों की रजिस्टर में मुस्लिमों से अधिक हिंदू बच्चों का नामांकन दिखाया गया है। भिंड-मुरैना तो वो इलाके हैं, जहाँ प्रदेश में मुस्लिम आबादी सबसे कम है, लेकिन मदरसे सबसे अधिक हैं। खुलासे के बाद श्योपुर के 80 में से 56 मदरसों की मान्यता रद्द कर दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन हिंदू बच्चों का दाखिला मदरसे में दिखाया गया है, वे सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। ये कभी मदरसा नहीं गए। इन बच्चों के माता-पिता को भी पता नहीं है कि उनके बच्चों का नाम मदरसों में दर्ज है। दरअसल, मदरसा संचालकों ने इन बच्चों की ‘समग्र’ आईडी जुटाकर मदरसे में फर्जी तरीके से एडमिशन दिखाया है। इस तरह यहाँ पढ़ने वाले छात्रों में मुस्लिमों से अधिक हिंदू हैं।
ये सारा मसला राज्य सरकार से मिलने वाले फंड को लेकर है। मध्य प्रदेश में सरकार की ओर से मदरसों में पढ़ने वाले 100 बच्चों के लिए हर महीने 50,000 रुपए से 60,000 रुपए तक की मदद दी जाती है। इसके अलावा भी मध्य प्रदेश की सरकार की ओर से इन मदरसों को कई अन्य तरह की मदद दी जाती है। इनमें शिक्षकों को तनख्वाह से लेकर अनाज भी शामिल है।
अगर किसी मदरसे में 100 बच्चे हैं और हर महीने उनकी उपस्थिति 70 प्रतिशत रहती है तो फि 2.10 क्विटंल गेहूँ, खाना बनाने के लिए 11440 रुपए, रसोइए को देने के लिए 4,000 रुपए का महीना जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। इसके अलावा, इन मदरसों में पढ़ाने वाले स्नातक शिक्षक को 3000 हजार रुपए और पोस्ट ग्रेजुएट को 6,000 रुपए मासिक का वेतन मिलता है।
भिंड के बीटीआई रोड इलाके में संचालित मदरसा हुसैनी फॉर ऑनली गर्ल्स में कुल 77 बच्चे हैं, जिनमें 44% हिंदू हैं। भिंड के 11 महावीर नगर में बीटीआई स्कूल के पीछे अलीमुद्दीन के मकान में संचालित मदरसा दीन-ए-अकबर और हुसैनी प्रोग्राम फॉर ऑनली गर्ल्स में 83 विद्यार्थी हैं, जिनमें 53 प्रतिशत हिंदू हैं। भिंड के सुभाष नगर में संचालित मदरसा मस्जिद नवी में 87 छात्र हैं, जिनमें 44% हिंदू हैं।
अगर भिंड और मुरैना में मदरसों की बात करें तो इन मुरैना में 70 और भिंड में 67 मदरसे चल रहे हैं। दोनों जिलों के कुल 137 मदरसों में 3,880 हिंदू बच्चों के नाम अंकित हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी बुरहानपुर जिले की है, फिर भी वहाँ 23 मदरसे हैं। यह फर्जीवाड़ा अनुदान और मिड डे मील का अनाज एवं पैसा हड़पने के लिए किया जा रहा है।
वहीं, श्योपुर जिले के मदरसों में हिंदू बच्चों के नाम सरकारी मदद लेने के खुलासे के बाद मंगलवार (30 जुलाई 2024) को यहाँ से 80 में से 56 मदरसों पर यह कड़ी कार्रवाई की गई है। इनकी मान्यता रद्द कर दी गई है। इसके साथ ही स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप ने सभी जिलों में संचालित मदरसों की भौतिक सत्यापन की जाँच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
यहाँ कई ऐसे छात्र हैं, जिनका नाम साल 2004 में भी दर्ज था और फिर 2018 एवं 2023 में भी उनका शामिल किया गया है। यहाँ के मदरसे में छात्र के रूप में एक नाम मानव गोयल का भी है, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। प्रिया मित्तल डॉक्टर हैं। ज्योत्सना गोयल भी डॉक्टर हैं। इनका भी नाम इन मदरसों में दर्ज है। ऐसे अनेकों नाम पर जिन पर सरकार से अनुदान और खाद्यान्न लिए जा रहे थे।
अधिकारियों का कहना है कि अकेले श्योपुर जिले के मदरसों से पिछले पाँच वर्ष की रिकवरी की जाए तो सरकार को इनसे लगभग 125 करोड़ रुपए की रिकवरी सरकार को करना पड़ेगी। अगर पूरे प्रदेश की बात की जाए तो यह रकम हजारों करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगी। बता दें कि मुरैना के 68 मदरसों में 2068 हिंदू बच्चे, भिंड के 78 मदरसों में 1812 हिंदू बच्चे, रीवा के 111 मदरसों में 1426 हिंदू बच्चे हैं।
दरअसल, मध्य प्रदेश के 1505 मदरसों में हिंदू बच्चों के इस्लाम की शिक्षा लेने की जानकारी सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाल आयोग (NCPCR) ने हस्तक्षेप किया था। संस्था के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसके जाँच के आदेश दिए थे। जाँच के बाद इसका खुलासा हुआ है। कानूनगो का कहना है कि राज्य के मदरसों में 9400 से ज्यादा हिंदू बच्चे दर्ज हैं। इसमें अफसरों की मिलीभगत है।
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