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Wayanad: सेना है, तो मुमकिन है, मलबे में 4 दिन से उखड़ रही सांसों में भर दी जान

 


सेना है तो मुमकिन है। यह भारतीय सेना का ही कमाल है, जिन्होंने मलबे में उखड़ती सांसों को फिर से जान दे दी। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि भूखी प्यासी चार जिंदगियां चार दिन से मलबे में फंसी हों। सरहद पर देश की रक्षा की बात हो या देश के भीतर प्राकृति आपदा में लोगों को बचाने की जद्दोजहद, भारतीय सेना अपने अदम्य साहस से हर मोर्चे पर आगे रहती है। जानकारी के अनुसार केरल के वायनाड में जिस तरह से तबाही का मंजर देखने मिला है, उससे रूह कंपकंपा जा रही है, लेकिन मलबे में अभी भी जिंदगी की तलाश जारी है।

हादसे के चौथे दिन सेना ने चार लोगों को जिंदा निकाला है। इनमें दो महिला और दो पुरुष हैं। चारों एक ही परिवार के हैं। ये पदावेट्टी कुन्नू में फंसे हुए थे। हादसे में अब तक मरने वालों की संख्या 334 हो गई है। 130 लोग अस्पताल में हैं, जबकि हादसे के पांच दिन बाद भी 206 लोग लापता हैं। सेना अब मोबाइल के लास्ट लोकेशन के हिसाब से लोगों को ढूंढने का काम कर रही है। तीस जुलाई को हुए हादसे में मरने वालों में 28 बच्चे भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि विभिन्न अस्पतालों में 90 लोगों का इलाज चल रहा है और 200 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। अधिकारियों ने 89 पुरुषों, 82 महिलाओं और 28 बच्चों सहित केवल 199 मौतों की पुष्टि की है। अब तक 133 शवों की पहचान हो चुकी है और 181 शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है। 116 शव और मानव शरीर के 87 अंग पीडि़तों के परिवारों को सौंप दिए गए हैं।

छह बच्चे जिंदा निकाले
केरल के जंगलों से अब जिंदगी की नई कहानी वन कर्मचारियों ने लिखी है। यहां पांच दिन बाद छह बच्चों को जिंदा निकाला गया है। यह चारों बच्चे एक गुफा में फंसे हुए थे। आठ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद इन बच्चों को सुरक्षित जिंदा निकाला गया है।

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