मालकांगनी गठिया, लकवा, शरीर को फौलाद, अस्थमा, बवासीर, मानसिक तनाव, अनिद्रा, बुद्धि और स्मृति बढ़ाना आदि 42 रोगों का रामबाण उपाय
➡ मालकांगनी (Malkangani) :
- मालकांगनी की बेल भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषकर कश्मीर और पंजाब आदि में अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसकी बेल दूसरे पेड़ों पर चढ़कर फलती-फूलती है। इसकी झुकी हुई नई शाखाओं पर सफेद बिन्दु के समान धब्बे होते हैं। इसके पत्ते नुकीले, लट्वाकार, 5 से 10 सेमी लंबे और 6-7 सेमी चौडे़ होते हैं। इसमें फूल नई पत्तियों के साथ अप्रैल-जून में आते हैं और शरद ऋतु में फल लगते और पकते हैं।
- मालकांगनी पौधे के बीज का उपयोग औषधि के रूप में होता हैं जो पूरे भारत मे सभी जड़ी बूटी वाले के यहाँ आसानी से मिल जाते हैं इनमे एक गाढ़ा गहरे पीले रंग का तेल होता है यह बहुत कड़वा होता है। मालकांगनी गर्म प्रकृति की होती है। बाजार मे मिलने वाले अधिकांश मालकंगनी( Malkangni )के तेल नकली हैं हमदर्द कंपनी इसे रोगन मालकंगनी के नाम से बेचती है यह भी सभी आयुर्वेदिक दवाई बेचने वालो की दुकान पर मिलता है ये सौ प्रतिशत सुरक्षित और शुद्ध है।
- मालकांगनी बाजार मे बीज व तेल के रूप मे मिलती है इन दोनों के गुण समान हैं क्योंकि तेल बहुत कड़वा होता है इसलिए बीज का ही प्रयोग अधिक किया जाता है इसके 1 बीज मे 6 छोटे बीज होते हैं इसलिए जब मात्रा 1 बीज कही जाए तो उसका अर्थ है चने के आकार का बीज जिसमे 4-6 छोटे बीज होते हैं इसका नाम हिंदी में मालकांगनी, संस्कृत में ज्योतिष्मति, मराठी में मालकांगोणी, गुजराती में मालकांगणी, और बंगाली में लताफटकी है।
➡ मालकांगनी के गुण :
- मालकांगनी पक्षाघात, संधिवात (गठिया), वात रोग, बेरी-बेरी, कास (खांसी), श्वास (दमा), मूत्र रोग,अपच, खुजली, बवासीर (अर्श), नपुंसकता, दाद, जख्म (व्रण), सफेद दाग, शोथ (सूजन), याददाश्त की कमी में गुणकारी है। मालकांगनी अफीम खाने की आदत छुड़ाने की एक उत्तम औषधि है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के मतानुसार मालकांगनी तीसरे दर्जे की गर्म और रूक्ष होती है। मालकांगनी का तेल पसली का दर्द, लकवा (पक्षाघात), जोड़ों का दर्द (गठिया), स्नायु (नर्वस सिस्टम) के रोग में लाभप्रद होता है। मालकांगनी याददाश्त को तेज करता है।
➡ मालकांगनी के अद्भुत फायदे :
- इसका सबसे बड़ा उपयोग है आयुर्वेद मे जो बुद्धि बढ़ाने वाली दवाइयाँ हैं उनमे से यह मालकंगनी भी है विद्यार्थियो के लिए सर्दी मे यह अमृत है च्यवन प्राश, कोड लीवर आयल आदि इसके सामने कोई गुण नहीं रखते प्राचीन वैद्यो ने इसके स्मृति ,याददाश्त, मेमोरी बढ़ाने वाले गुण की बहुत प्रशंसा की है।
- इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है 5 साल से लेकर 100 साल तक का कोई ही व्यक्ति इसका प्रयोग कर सकता है मानसिक कार्य करने वालो के लिए गुणकारी है।
- वृद्धावस्था मे जब स्मृति भ्रंश (Alzimar’s Disease) हो जाता है तब भी यह काम करती है जो व्यक्ति अपनी इच्छा से नशा छोडना चाहते हैं उन्हे भी इसका उपयोग करना चाहिए इससे मानसिक शक्ति बढ़ती है और नशा छोडने से होने वाले दुष्प्रभावो मे कमी आती है।
- डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगो मे इसका बहुत अच्छा प्रभाव है डिप्रेशन जैसे अनेक मानसिक रोगो मे मालकंगनी से तत्काल लाभ होता है। मनोरोग की एलोपैथी दवाइया प्रायः नींद को बढ़ाती है, परंतु यह नींद को सामन्य ही रखती है-सभी साइकोएक्टिव दवाइया (मानसिक रोगो की अङ्ग्रेज़ी दवाइया )सुस्ती लाती है-आँख, कान की शक्ति को कम करती है कमजोरी लाती है और खून की कमी कर देती है परंतु इसमे एसी कोई समस्या नहीं है-इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ-साथ शंखपुष्पी चूर्ण का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- गठिया रोग : 20 ग्राम मालकांगनी के बीज और 10 ग्राम अजवायन को पीस-छानकर चूर्ण बनाकर रोजाना 1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से गठिया रोग (घुटनों का दर्द) में आराम होता है।
- 10-10 ग्राम मालकांगनी, काला जीरा, अजवाइन, मेथी और तिल को लेकर पीस लें फिर इसे तेल में पकाकर छानकर रख लें। इस तेल से कुछ दिनों तक मालिश करें। इससे गठिया रोग (घुटनों का दर्द) ठीक हो जाता है।
- चालविभ्रम (कलाया खन्ज ) : ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के बीजों के काढ़े में 2 से 4 लौंग डालकर सेवन करना चाहिए। इसका 40 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से चालविभ्रम रोग में लाभ पहुंचता है।
- उरूस्तम्भ (जांघ का सुन्न होना) : 10-15 मालकांगनी के तेल की बूंद के सेवन से शरीर की सुन्नता दूर हो जाती है और यह हड्डियों में पीव को खत्म करता है।
- नाखूनों का अन्दर की ओर बढ़ना : ज्योतिष्मती के बीजों को अच्छी तरह से पीसकर उसका लेप नाखून पर लगाने से नाखून की जलन व दर्द में राहत मिलती है।
- नाखूनों का जख्म : ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के बीजों को पीसकर नाखून पर लेप करने से नाखूनों का जख्म ठीक होता है।
- मिर्गी (अपस्मार) : मालकांगनी के तेल में कस्तूरी को मिलाकर रोगी को चटाने से मिर्गी का दौरा आना बंद हो जाता है।
- शरीर का सुन्न पड़ जाना : 10 से 15 बूंद मालकांगनी के तेल का सेवन करने से शरीर की सुन्नता दूर हो जाती है।
- लिं*ग वृद्धि : भुने सुहागे को पीसकर मालकांगनी के तेल में मिलाकर लिं*ग पर सुबह-शाम मालिश करने से लिं*ग में सख्तपन और मोटापन बढ़ता है।
- शरीर का ताकतवर और शक्तिशाली बनाना :लगभग 250 ग्राम मालकांगनी को गाय के घी में भूनकर, इसमें 250 ग्राम शक्कर मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खाने से मनुष्य के शरीर में ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगभग 40 दिनों तक करना चाहिए।
- नेत्र ज्योतिवर्द्धक : मालकांगनी के तेल की मालिश पैर के तलुवों पर रोजाना करते रहने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
- सिर में दर्द : मालकांगनी का तेल और बादाम के तेल को 2-2 बूंद की मात्रा में सुबह खाली पेट एक बताशे में डालकर खा लें और ऊपर से 1 कप दूध पियें। मालकांगनी का लगातार सेवन करने से पुराने सिर का दर्द और आधासीसी (माइग्रेन) के दर्द में आराम मिलता है।
- जीभ और त्वचा की सुन्नता : मालकांगनी (ज्योतिष्मती) के बीज पहले दिन 1 बीज तथा दूसरे रोज से 1-1 बीज बढ़ाते हुए 50 वें दिन में 50 बीज खायें तथा 50 वें दिन से 1-1 बीज कम करते हुए 1 बीज की मात्रा तक खायें। इसके प्रयोग से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है लेकिन इससे किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है तथा जीभ और त्वचा की सुन्नता ठीक होती है।
- नपुं*सकता : मालकांगनी के तेल की 10 बूंदे नागबेल के पान पर लगाकर खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है। इसके सेवन के साथ दूध और घी का प्रयोग ज्यादा करें।
- मालकांगनी के तेल को पान के पत्ते में लगाकर रात में शि*श्न (लिं*ग) पर लपेटकर सो जाएं और 2 ग्राम बीजों को दूध की खीर के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे नपुं*सकता के रोग में लाभ मिलता है।
- 50 ग्राम मालकांगनी के दाने और 25 ग्राम शक्कर को आधा किलो गाय के दूध में डालकर आग पर चढ़ा दें। जब दूध का खोया बन जाये तब इसे उतारकर मोटी-मोटी गोली बनाकर रख लें और रोज 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाये। इससे नपुं*सकता दूर होती है। मालकांगनी के बीजों को खीर में मिलाकर खाने से नपुं*सकता मिट जाती है।
- बंद माहवारी : मालकांगनी के बीज 3 ग्राम की मात्रा में लेकर गर्म दूध के साथ सेवन करने से अधिक दिनों का रुका हुआ मासिक-धर्म भी जारी हो जाता है।
- कमजोरी : मालकांगनी के बीजों को दबाकर निकाला हुआ तेल, 2 से 10 बूंद को मक्खन या दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से दिमाग तेज होता है और कमजोरी मिट जाती है।
- मालकांगनी के बीज को गाय के घी में भून लें। फिर इसमें इसी के समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम एक कप दूध के साथ सेवन करें। इससे शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।
- मासिक-धर्म अवरोध : मालकांगनी के पत्ते तथा विजयसार की लकड़ी दोनों को दूध में पीस-छानकर पीने से बंद हुआ मासिक-धर्म दुबारा शुरू हो जाता है।
- मालकांगनी के पत्तों को पीसकर तथा घी में भूनकर महिलाओं को खिलाना चाहिए। इससे महिलाओं का बंद हुआ मासिक-धर्म दुबारा शुरू हो जाता है।
- मालकांगनी के पत्ते, विजयसार, सज्जीक्षार, बच को ठंडे दूध में पीसकर स्त्री को पिलाने से मासिकस्राव (रजोदर्शन) आने लगता है।
- गोली लगने पर : गोली लगे घाव को रोजाना मालकांगनी (ज्योतिष्मती) के बीजों को पीसकर लेप करने से घाव बहुत जल्दी ही भर जाता है।
- वी*र्य रोग : 40 ग्राम मालकांगनी का तेल, 80 ग्राम घी तथा 120 ग्राम शहद को मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें। सुबह-शाम 6 ग्राम दवा खाने से नपुं*सकता और टी.बी. के रोग में लाभ मिलता है।
- एक्जिमा : ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के पत्तों को कालीमिर्च के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा समाप्त हो जाता है।
- दिमाग के कीड़े : पहले दिन मालकांगनी का 1 बीज, दूसरे दिन 2 बीज और तीसरे दिन 3 बीज इसी तरह से 21 दिन तक बीज बढ़ायें और फिर इसी तरह घटाते हुए एक बीज तक ले आएं। इसके बीजों को निगलकर ऊपर से दूध पीने से दिमाग की कमजोरी नष्ट हो जाती है।
- लगभग 3 ग्राम मालकांगनी के चूर्ण को सुबह और शाम दूध के साथ खाने से स्मरण शक्ति (याददाश्त) बढ़ती है।
- सफेद दाग : मालकांगनी और बावची के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में रख लें, इसको सफेद दागों पर रोजाना सुबह-शाम लगाने से लाभ मिलता है।
- अफीम की आदत छुड़ाने के लिए : मालकांगनी के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में 2 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार रोगी को पिलाते रहने से अफीम की गन्दी आदत से छुटकारा पाया जा सकता है।
- दाद : मालकांगनी को कालीमिर्च के बारीक चूर्ण के साथ पीसकर दाद पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में दाद ठीक हो जाता है।
- खूनी बवासीर : इसके बीजों को गोमूत्र (गाय के पेशाब) में पीसकर खुजली वाले अंग पर नियमित लगाने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
- खुजली : मालकांगनी के बीजों को गोमूत्र में पीसकर खुजली वाले अंग पर नियमित लगाने से खुजली में लाभ मिलता है।
- बेरी-बेरी : 1 बताशे में मालकांगनी के बीजों को पानी में पीसकर बनी लुगदी (पेस्ट) को मस्सों पर लगाते रहने से खून का बहाव कम होता है।
- शुरुआती बेरी-बेरी रोग में ज्योतिष्मती (मालकांगनी) तेल की 10 से 15 बूंद, दूध या मलाई के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से यह रोग दूर हो जाता है।
- ज्योतिष्मती (माल कांगनी) के बीजों को सोंठ के साथ खाने से लाभ होता है। शुरुआत में 1 बीज और इसके बाद रोजाना 1-1 बीज की संख्या बढ़ाते हुए 50 बीज तक, सोंठ के साथ 50 दिन तक खायें। इसके बाद 50 वें दिन से प्रत्येक दिन इसके बीजों की 1-1 संख्या कम करते हुए 1 बीज तक, सोंठ के साथ खायें। ज्योतिष्मती (मालकांगनी) को खाने से पहले पेशाब की मात्रा बढ़ती है फिर धीरे-धीरे यह सूजन कम करती है। धीरे-धीरे संवेदनशीलता वापस आ जाती और शरीर की नसे स्वस्थ्य हो जाती हैं। ध्यान रहे : ज्योतिष्मती तेल या ज्योतिष्मती बीज में से किसी एक का ही प्रयोग करें।
- दमा, श्वास : मालकांगनी के बीज और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में पीसकर आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम खाने से दमा के रोग में आराम मिलता है।
- बुद्धि और स्मृति बढ़ना : मालकांगनी के बीज, बच, देवदारू और अतीस आदि का मिश्रण बना लें। रोज सुबह-शाम 1 चम्मच घी के साथ पीने से दिमाग तेज और फूर्तीला बनता है। मालकांगनी तेल की 5-10 बूंद मक्खन के साथ सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
- अनिद्रा (नींद का कम आना) : मालकांगनी के बीज, सर्पगन्धा, जटामांसी और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ खाने से अनिद्रा रोग (नींद का कम आना) में राहत मिलती है।
➡ मालकांगनी का तेल कैसे प्रयोग करे :
- एक बूंद से दस बूंद तक दिन मे 2 बार- शुरु मे 1 बूंद ले बाद मे बढ़ाते हुए 10 बूंद तक लिया जा सकता है अधिक मात्रा लेने से गर्मी लने लगती है ध्यान दे यह बहुत ही कड़वा है। इसे चम्मच मे लेकर चाट ले ऊपर से दूध पी ले- यदि इसे 4 बूंद देशी घी या बादाम रोगन मे मिलाकर प्रयोग किया जाए तो अधिक लाभ होता है और हानि की संभावना कम हो जाती है।
➡ मालकांगनी के बीज कैसे प्रयोग करे :
- साबुत बीज 1 से 30 तक लिए जा सकते है पहले दिन दूध से 1 बीज दूसरे दिन 2 बीज इसी तरह 30 बीज तक लिए जा सकते है यदि गर्मी लगे तो मात्रा कम कर दे।
- इसके 100 ग्राम बीजो को 100 ग्राम देशी घी मे धीमी आग पर भून ले ध्यान दे जल ना जाए- फिर पीस ले तथा 1/4 चम्मच से 2 चम्मच तक दूध से ले- छोटे बच्चो को मीठा मिलाकर भी दे सकते है।
➡ इसका प्रयोग किसे नहीं करना चाहिए :
- जिसे भी स्थायी एनीमिया( Anemia )है वह इसका प्रयोग बिलकुल ना करे नहीं तो बहुत नुकसान होगा। जैसे थेलिसिमिया, परनीसियस एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया, एडिसन डीजीज आदि।
- नव विवाहित पति पत्नी इसका प्रयोग ना करे। व्याभिचारी बदचलन युवक युवती भी इससे दूर रहे। इसके सेवन करते समय संयम की जरूरत है। संयमी को ही इसका पूरा लाभ मिलता है।
- जिसे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बहता है या एक साल के अंदर इस समस्या से पीड़ित रहा है वह इसका प्रयोग ना करे।
- जिसे पेट मे अल्सर या अम्लपित्त है वह प्रयोग ना करे।
- जिसे एक साल के भीतर पीलिया (हेपटाइटिस) हुआ है वह इसका प्रयोग ना करे।
- जिसे गहरे पीले रंग का मल आता है और बार बार शौच के लिए जाना पड़ता है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
- जिसे किडनी या गुर्दे का कोई रोग है या शरीर पर सूजन है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
- जिसे इस्नोफिलिया है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
- जिसके मुंह मे बार बार छाले हो जाते है जो एक्जीमा, सोराइसिस या खुजली से ग्रस्त हैं वह भी इसका प्रयोग ना करे।
- गर्भवती इसका प्रयोग ना करे।
➡ मालकांगनी का हानिकारक प्रभाव :
- मालकांगनी के बीजों का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी या दस्त का रोग हो सकता है। मालकांगनी का सेवन गर्म स्वभाव वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
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