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कुकी आतंकियों ने घर में घुस कर मैतेई हिन्दू को मार डाला, रॉकेट हमला कर बुजुर्ग पुजारी की हत्या: मणिपुर में फिर से भड़के संघर्ष में 5 की मौत

मणिपुर हिंसा

एक दिन पहले ही पड़ोस के बिष्णुपुर जिले में कूकी आतंकवादियों ने रॉकेट हमला करके एक बुजुर्ग पुजारी की हत्या कर दी थी, तो 5 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद अब जिरीबाम हिंसा की चपेट में आ गया है। मणिपुर के इस संघर्ष में मेइती और कूकी समुदायों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है, जिसकी वजह से कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शनिवार की सुबह (7 सितंबर 2024) जिरीबाम जिले के मुख्यालय से 5 किमी दूर एक व्यक्ति के घर में घुसकर कूकी आतंकवादियों ने उसकी हत्या कर दी। इस हत्या के बाद दोनों तरफ से संघर्ष छिड़ गया, जिसमें 4 अन्य की मौत हो गई। मरने वालों में 3 कुकी आतंकवादी थे। कूकी आतंकवादियों द्वारा मणिपुर के अन्य इलाकों में भी कई हमले किए गए थे, लेकिन जिरीबाम का यह हमला उन हमलों से और ज्यादा गंभीर माना जा रहा है।

मणिपुर में पिछले कुछ समय से हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस सप्ताह की शुरुआत में इंफाल वेस्ट के एक गाँव में क्रूड बम के हमले में 2 लोगों की मौत हो गई थी, तो कई लोग घायल हो गए थे। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इन घटनाओं को आतंकवादी हमला करार दिया है।

जातीय संघर्षों का इतिहास

मणिपुर में कूकी और मेइती समुदायों के बीच संघर्ष का इतिहास पुराना है। दोनों समुदायों के बीच भूमि और राजनीतिक अधिकारों को लेकर विवाद हमेशा से रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में यह विवाद और हिंसक हो गया है। 2023 के मध्य से मणिपुर में जातीय संघर्षों ने विकराल रूप ले लिया, जहाँ बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं और हजारों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी नाजुक हो चुकी है, और हालात नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं।

कूकी उग्रवादियों की भूमिका

कूकी आतंकवादी समूह इस जातीय हिंसा में एक प्रमुख भूमिका निभाते आए हैं। इन समूहों ने पिछले कुछ महीनों में कई निर्दोष नागरिकों पर हमले किए हैं, जिनमें महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। कूकी उग्रवादी समूहों का दावा है कि वे अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं, लेकिन उनकी हिंसक गतिविधियाँ लगातार मणिपुर के शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही हैं।

सरकार की तरफ से स्थिति को सामान्य बनाने के प्रयास जारी

मणिपुर की सरकार और केंद्र सरकार दोनों इस स्थिति से निपटने के लिए प्रयासरत हैं। राज्य में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है ताकि कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सके। इसके साथ ही, प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है ताकि अफवाहों और गलत जानकारी के प्रसार को रोका जा सके। हालाँकि सरकार के इन प्रयासों के बावजूद मणिपुर में हिंसा और तनाव कम नहीं हो रहा है। दोनों समुदायों के बीच संवाद की कमी और आपसी विश्वास की खाई इतनी गहरी हो चुकी है कि इसे पाटना आसान नहीं दिख रहा है।

मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। एक ओर, कूकी और मेइती समुदायों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना और उनके बीच आपसी विश्वास बहाल करना सबसे बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर, राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के साथ-साथ प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करना भी महत्वपूर्ण है। 

मणिपुर के इस संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जातीय और क्षेत्रीय विवादों को हल करना आसान नहीं है। जब तक दोनों समुदायों के बीच समझ और आपसी सम्मान नहीं होगा, तब तक इस प्रकार की हिंसक घटनाओं का सिलसिला जारी रहने की आशंका है। इसे नियंत्रण में लाने के लिए सरकार और सुरक्षा बलों के सामने बड़ी चुनौती है।

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