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प्रयागराज के जिस मदरसे में छपते थे जाली नोट, उसे तुर्की-अरब से करोड़ों की फंडिंग: फर्जी आधार कार्ड का भी धंधा, 630 छात्रों की तलाश

प्रयागराज मदरसे नकली नोट

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के जिस मदरसे में नकली नोट छापने की मशीन पकड़ी गई थी वहाँ के बारे में जाँच में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। जाँच एजेंसियों को अब उन 630 छात्रों की तलाश है जो यहाँ से पढ़ाई कर के निकले हैं। आशंका जताई जा रही है कि मौलवी तफसीरुल इन इन सभी का ब्रेनवॉश किया होगा। इस मदरसे को हर साल लगभग 48 लाख रुपए विदेशों में फंडिंग मिलने की भी जानकारी सामने आई है। मामले की पड़ताल में पुलिस के अलावा ATS और IB की टीमें भी जुट गईं हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस मदरसे में नकली नोट छापने के साथ RSS को आतंकी संगठन बताया जाता था वहाँ से अब तक लगभग 630 छात्र पढ़ाई कर के निकल चुके हैं। मौलवी तफसीरुल मदरसे में लगभग 6 साल से पढ़ा रहा था। प्रतिवर्ष औसतन 105 छात्र मदरसे से पढ़ाई कर के निकले हैं। जाँच एजेंसियों को आशंका है कि मौलवी तफसीरुल ने इन्हें भी कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया होगा। ये छात्र देश के अलग-अलग राज्यों में हैं। ऐसे में स्थानीय पुलिस के साथ ATS और IB की टीमें भी इनकी खोज में 6 प्रदेशों में गईं हैं।

ATS ने बुधवार (4 सितंबर, 2024) को प्रयागराज पहुँच कर जाँच शुरू की है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की टीम 28 अगस्त को ही प्रयागराज पहुँच चुकी थी। अब तक हुई जाँच में यह सामने आया है कि मदरसे में हर साल विदेशों से लाखों रुपए भेजे जाते थे। तुर्की और सऊदी अरब मिला कर प्रतिवर्ष 48 लाख रुपए भेजे जाने के प्रमाण भी मिले हैं। अब तक हुई कुल फंडिंग 2 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। मदरसा कमिटी के मैनेजर शाहिद के मुताबिक, ये पैसे दूसरे देशों से मदद के तौर पर भेजी जाती है।

इसी से मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों की तालीम से ले कर उनके रहने आदि के खर्च व मेंटेनेंस का हिसाब-किताब किया जाता है।

जाँच एजेंसियों ने पैसे भेजने वालों की पहचान उजागर नहीं की है लेकिन उनके पाकिस्तान ने कनेक्शन खंगाले जा रहे हैं। ATS और IB की टीमें यह पता लगाने में भी जुटी हैं कि जिस खाते में विदेशों से पैसे आते थे उन्हें हैंडल कौन करता था। विदेशों से पैसे मँगाने के मामले में अब तक 12 बैंक खाते रडार पर हैं। मदरसे के प्रिंसिपल मौलवी तफसीरुल के परिजनों और रिश्तेदारों के भी खातों की डिटेल तलब की गई है। अन्य खातेदारों में अधिकतर मदरसा कमेटी से जुड़े हुए लोग हैं। इस बावत संबंधित बैंकों से भी लेन-देन का ब्यौरा तलब किया गया है।

इसी केस में मौलवी के साथ पकड़े गए ओडिशा के अब्दुल जहीर के पास मिला आधार कार्ड फर्जी बताया जा रहा है। उसे नकली नोट की ही तरह जाली आधार कार्ड बनाने का एक्सपर्ट माना जा रहा। IB की पूछताछ में अब्दुल जहीर ने कबूल किया है कि फर्जी आधार कार्ड बनाने के रैकेट में ओडिशा में मौजूद उसका भाई भी शामिल है। मदरसे से जुड़े कुछ लोगों का पिछले 5 वर्षों से अलग-अलग देशों में आना-जाना लगा हुआ है। इनके साथ कुछ अन्य राज्यों से भी मदरसे का कनेक्शन पाया गया है। जाँच एजेंसियाँ इन सभी लोगों की पड़ताल में जुटी हैं।

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