आखिर कन्या पूजन में क्यों की जाती है छोटी कन्याओं की पूजा? जानें वजह
नवरात्र की नौंवी को कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है। कहते हैं कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजना के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।
दरअसल आज कन्या पूजन है और मैंने भी नौ दिन के व्रत रहने के बाद नन्हीं कन्याओं का पूजन किया है। जब इनकी कन्याओं को पूज रही थी तो अचानक से बचपन में पहुंच गई। जब मैं छोटी थी तो इस खास दिन का बेसब्री से इंतजार रहता था, एक दिन पहले से ही पड़ोस उस दिन के लिए दावत ले कर आ जाते थे तब वो जो बुकिंग होती थी ना कसम से बड़ी मजेदार लगती थी।
उस समय इस पूजन का महत्व तो समझ नहीं आता था बस पैसे और गिफ्ट मिलने की खुशी ही कुछ और थी। लेकिन जैसे जैसे वक्त से साथ मैं बड़ी हुई कुछ तो लोगों ने बुलाना बंद कर दिया और कुछ खुद से शर्म महसूस होने लगी। शायद में बड़ा महसूस होने लगा था। इसे कहते हैंबचपना नहीं समझती थी कि इस पूजन का कितना महत्व होता है।
याद है मुझे जब मैं पहली बार नवरात्रि का व्रत रही थी तो मैंने अपनी मां से पूछा था कि ये कन्या पूजन होता क्यों है और मुझे अब कोई कंचक खाने के लिए क्यों नहीं बुलाता है सवाल ये इसलिए था क्योंकि मेरे ना जाने का कारण ये था कि मुझे शर्म लगती थी लेकिन मुझे जैसे जैसे मैं बड़ी हुई क्यों बुलाना बंद हआ। याद है मेरी मां ने एक बात कही बेटा अब तुम बड़ी हो गई हो इसलिए नहीं कंचको में नहीं बुलाया जाता है। फिर उन्होंने कन्या पूजन का जो महत्व बताया वो आज तक मेरे दिमाक में है। देवी (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को छोटी लड़कियों की पूजा करते हैं। कन्या पूजा में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में छोटी लड़कियों की पूजा क्यों की जाती है
देवी भगवती शक्ति का स्वरुप हैं। छोटी बच्चियों को कंचको में इसलिए बिठाते हैं क्योंकि छोटी लडकियां मासूम और शुद्ध होती हैं। वे मनुष्य के रूप में देवी के शुद्ध रूप का प्रतीक हैं। धर्म के रूप में देखें तो एक कुंवारी छोटी लड़की शुद्ध बुनियादी रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है। मूर्ति की पूजा से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके देवी की शक्ति का आह्वान किया जाता है। छोटी बच्चियों का निर्माण भी देवी ने किया है। छोटी लड़कियों में स्त्री ऊर्जा चरम होती है। इसके अलावा उनमें अहंकार नहीं होता और वे मासूम होती हैं।
इस कारण से ही कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं। छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के पैर छू लिए हैं।
पीरियड्स वाली लड़कियों की नहीं होती है पूजा
वैसे किसी किताब में ऐसा नहीं लिखा है कि पीरियड्स होने वाली लड़कियों का कन्या पूजन नहीं किया जा सकता है। लेकिन हां हिन्दू धर्म और शास्त्रों में उसका उल्लेख है कि महावारी होने से पहले तक की एक लड़की कन्या को रूप होती है। 10 साल के बाद लड़कियों के अंदर शारीरिक परिवर्तन होते हैं और मासिक धर्म होने की शुरुआत होने लगती है, जिस कारण से कन्या पूजन में मासिक धर्म के बाद की बच्चियों को नहीं बिठाते हैं। हांलकि कहा ये भी जाता है कि देवी दुर्गा खुद एक औरत का रूप हैं वो खुद इस अवस्था से गुजरती हैं इस कारण से पीरियड्स होने वाली लड़कियों का कन्या पूजन किया जाना चाहिए।
वहीं, अगर मैं अपनी मानूं तो मैं तो पीरियड्स होने वाली लड़कियों का कन्या पूजन भी करती हूं क्योंकि आजकल छोटी छोटी बच्चियों को ये अवस्था समय से पहले होने लगती है तो क्या वो कन्या नहीं होती हैं महिलाएं हो जाती हैं। खैर जो भी हो नवरात्रि के नौं दिन और फिर इन कंचकों का पूजन एक अलग की सुकून देता है। उन मासूम कन्याओं के चेहरे की खुशी दिल को सूकून दे जाती है ऐसा लगता है मानों खुद भगवती दुर्गा घर आकर आशीर्वाद दे रही हों।
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