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अपने बच्चों की लाशें मां-बाप कंधों पर लादकर ले गए, ये खबर रुला देगी.....




आइये आपको पूरी खबर बताते हैं। बुखार के इलाज के लिए डॉक्टर के बजाय पुजारी के पास गए दो नन्हें भाइयों की कुछ ही घंटों में संदिग्ध मौत हो जाने से गड़चिरौली में हड़कंप मच गया। इसके बाद बच्चों को लेकर माता-पिता अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। समय पर कोई एंबुलेंस नहीं मिलने पर ये अभागे माता-पिता अपने बच्चों के शवों को कंधे पर रखकर भारी कदमों से 15 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे। 

मां-बाप इलाज के लिए पुजारी के पास ले गए

वाकया 4 सितंबर का है। 4 सितंबर को अहेरी तालुका के पत्तीगांव की इस घटना का फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इन अभागे बच्चों के नाम थे बाजीराव रमेश वेलादी (6 वर्ष) और दिनेश रमेश वेलादी (साढ़े तीन वर्ष)। 4 सितम्बर को बाजीराव को बुखार आया। बाद में दिनेश भी बीमार पड़ गया। उसके माता-पिता उसे इलाज के लिये पत्तीगांव इलाके में एक पुजारी के पास ले गए। वहां उन्हें जड़ी-बूटियां दी गईं। कुछ देर बाद दोनों की हालत और बिगड़ गई। पहले बाजीराव की मृत्यु हो गई, फिर दोपहर में दिनेश ने दम तोड़ दिया।


दोनों शवों को अपने कंधों पर लादकर ले गए मां-बाप

जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र से पत्तीगांव तक कोई पक्की सड़क नहीं है, इसलिए माता-पिता के लिए इन बच्चों को नाले के पानी और कीचड़ के बीच अपने कंधों पर लेकर जिमलगट्टा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां चिकित्सा अधिकारियों ने जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया। स्वास्थ्य केंद्र में कोई एम्बुलेंस नहीं थी, इसलिए देचलीपेठा से एम्बुलेंस बुलाने की तैयारी की गई, लेकिन दोनों बच्चों को खो चुके वेलादी दंपत्ती ने मदद लेने से इनकार कर दिया और दोनों शवों को अपने कंधों पर लादकर पत्तीगांव चल पड़े। नालियों और कीचड़ भरी सड़क के कारण यहां से वाहन नहीं निकल पाते, इसलिए उन्हें पैदल ही चलना पड़ा।

गड़चिरौली जिले में यह मामला नया नहीं है। इससे पहले भामरागड, एटापल्ली और अहेरी तहसील के दूरदराज के गांव में ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं। तहसील के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य  सुविधाएं न के बराबर है। इस घटना ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। 

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