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मंडी में मंदिर के ऊपर खड़ी कर दी अवैध मस्जिद: हिंदुओं का दावा, निर्माण के लिए मुस्लिमों ने पाँच गुना जमीन कब्जाई; शिमला की एक और मस्जिद को भी सील करने की माँग

मंडी मस्जिद

हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों के अवैध कब्जे का मामला थम नहीं रहा है। प्रशासन की जाँच में सामने आया है कि मंडी की पुरानी मस्जिद की जगह बनाई गई नई मस्जिद के लिए 4 गुना जमीन कब्जा कर ली गई। वहीं हिन्दू संगठनों ने इस मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने का दावा किया है। दूसरी तरफ शिमला की कसुम्पटी मस्जिद को लेकर भी विवाद गहरा गया है, हिन्दू संगठनों ने कहा है कि इस मस्जिद को सील कर दिया जाए क्योंकि यह पहले यहाँ थी ही नहीं।

जमीन पर कब्जा, मस्जिद के नीचे मंदिर

मंडी शहर की जेल रोड पर बनी मस्जिद को लेकर हाल ही में काफी विवाद हुआ था। हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया था कि यह मस्जिद जमीन पर कब्जा करके बनाई गई है। नगर निगम मंडी ने आदेश दिया था कि इस मस्जिद का अवैध हिस्सा तोड़ दिया जाए। अब प्रशासन के सर्वे में यह सामने आया है कि मस्जिद के लिए काफी जमीन कब्जाई गई थी।

प्रशासन ने जब इस अवैध मस्जिद का सर्वे किया तो सामने आया है कि यहाँ 231 वर्ग मीटर पर अवैध निर्माण हुआ है। सर्वे में सामने आया है कि इसी जगह पर बनी पुरानी मस्जिद का इलाका मात्र 45 वर्ग मीटर था। जब नई मस्जिद बनी तो लगभग 180 वर्ग मीटर और जमीन पर कब्जा कर लिया गया।

इसके अलावा भी PWD की जमीन पर कब्जा हुआ। मुस्लिम समुदाय ने इस पूरी जमीन पर कब्जा करके बिना नक्शा पास करवाए और बिना कोई अनुमति लिए ही दोमंजिला मस्जिद बना दी। नगर निगम को इस निर्माण के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई। कई नोटिस के बाद भी यह निर्माण जारी रखा गया।  

जब इस अवैध निर्माण पर हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो प्रशासन इसको लेकर जागा और मंडी नगर निगम ने इसकी जाँच की। इसके बाद नगर निगम आयुक्त ने फैसला सुनाया कि मस्जिद का निर्माण अवैध ढंग से हुआ है और इसे 30 दिनों के भीतर तोड़ दिया जाए।

मस्जिद के टूटने के अलावा इसके मूल निर्माण पर भी अब विवाद पैदा हुआ है। मंडी के स्थानीय निवासी अब मंडी के उपायुक्त से मिले हैं और दावा किया है कि इस मस्जिद के नीचे एक हिन्दू मंदिर के अवशेष हैं। उन्होंने माँग की है कि इस मस्जिद के नीचे पुरातत्व विभाग खुदाई करे तो मंदिर के अवशेष निकलेंगे।

गौरतलब है कि मंडी को छोटी काशी कहा जाता है और यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर बने हुए हैं। ऐसे में मस्जिद के नीचे भी मंदिर का दावा किया गया है। स्थानीयों ने दावा किया है कि पुराने रिकॉर्ड खँगाले जाएँ तो यहाँ का सच सामने आएगा। इसको लेकर आवेदन भी दिया गया है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि जहाँ पर पुरानी मस्जिद का दावा है, वहाँ पर असल में देवता शिव को समर्पित एक मंदिर था। उन्होंने कहा कि इस जगह पर कश्मीर से मुस्लिम ठहरते थे और इस पर बाद में सहारनपुर के लोगों ने कब्जा किया और अपनी मस्जिद बना दी।  

कसुम्पटी मस्जिद पर भी विवाद

शिमला के संजौली में मस्जिद पर हुए विवाद के बाद कसुम्पटी इलाके में बनी मस्जिद को भी सील करने की माँग की गई है। स्थानीय पार्षद अर्चना शर्मा ने माँग की कि मस्जिद को सील किया जाए क्योंकि यहाँ कभी पहले मस्जिद नहीं थी। उन्होंने इस संबंध में वक्फ बोर्ड के दावे को गलत बताया। अर्चना शर्मा ने आरोप लगाया कि यहाँ मस्जिद का निर्माण अवैध है।

पार्षद अर्चना शर्मा ने कहा कि मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, वह असल में केंद्र सरकार की है। उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को कोर्ट से गिराने का आदेश हो चुका है लेकिन अब भी इसमें निर्माण जारी है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि इस मस्जिद में आने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

कसुम्पटी मस्जिद को लेकर यह भी आरोप लगाया गया है कि इसके आसपास के इलाके में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम बस रहे हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यहाँ पहले मुस्लिम रिहायशी इलाकों में घर बना रहे हैं और उन्हें बाद में मस्जिद में तब्दील किया जा रहा है।

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