काशीपुर के कछुओं वाली IPS! संभल में पुलिस अफसर अनुकृति ने तालाब को निखारा तो ये हुआ हासिल
Sambhal News: काशीपुर, उत्तर प्रदेश के संभल जिले की गुन्नौर तहसील का एक गांव है. आप सोच रहे होंगे कि आज हम काशीपुर गांव का जिक्र क्यों रहे हैं? दरअसल इसके पीछे की वजह हैं कछुए. वही, कछुए जो भगवान विष्णु का एक अवतार माने जाते हैं, जिन्हें देवी लक्ष्मी के साथ भी जोड़ा जाता है. आपको यह बात जानकर हैरानी जरूर होगी कि काशीपुर गांव में एक ऐसा तालाब है जिसमें करीब 200 से 250 गैंगेटिक फ्रेश वॉटर टर्टल (कछुए) मौजूद हैं. मगर इस तालाब की हालत साल 2024 के मई महीने तक जर्जर थी. इस तालाब में कोई झांकता भी नहीं था. मगर संभल की एएसपी अनुकृति शर्मा की इच्छाशक्ति ही थी कि उन्होंने इस तालाब को एक ऐसा रूप दिया जिसकी अब चर्चा ही चर्चा है. आज आप इस खबर में जानिए कैसे आईपीएस अनुकृति शर्मा ने इस तालाब की तस्वीर बदल दी.
इस तालाब के बदलाव की कहानी जानने के लिए यूपी Tak ने आईपीएस अनुकृति शर्मा से खास बातचीत की. उन्होंने हमें बताया कि वह फरवरी महीने से उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एएसपी की रैंक पर तैनात हैं. आईपीएस शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2024 से भारत में आम चुनाव शुरू हो गए थे. इसी सिलसिले में वह फील्ड में जगह-जगह गश्त कर रही थीं. तभी उन्हें किसी ने काशीपुर गांव में कछुओं के बारे में बताया. फिर एक दिन समय निकालकर आईपीएस अनुकृति ने काशीपुर गांव का दौरा किया.

एएसपी अनुकृति बताती हैं कि जब उन्होंने तालाब को देखा तो उसकी हालत देखने लायक नहीं थी. तालाब में गंदगी का अंबार था. प्लास्टिक की बोतलें और पन्नियां तालाब में तैर रही थीं. कोई इस तालाब को देख यह नहीं कह सकता था कि इसमें सैकड़ों कछुए अपना जीवन जी रहे होंगे. मगर, तभी आईपीएस अनुकृति ने फैसला लिया कि उन्हें इस तालाब को साफ करवाना है. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने काशीपुर गांव के प्रधान से बात की और कछुआ संरक्षण का मुद्दा उठाया. साथ ही उन्होंने इस तालाब को एक ट्यूरिस्ट प्लेस बनाने का प्रस्ताव भी रखा. प्रधान ने तालाब की सफाई के लिए हामी भर दी. इस दौरान आईपीएस अनुकृति शर्मा ने गांव के लोगों को कछुआ संरक्षण का महत्व बताया और तालाब को साफ करने के लिए प्रेरित भी किया.
23 मई, विश्व कछुआ दिवस के अगले दिन यानी 24 मई को अनुकृति ने अपनी टीम और गांव वालों के सहयोग से तालाब की सफाई शुरू की. आईपीएस अनुकृति ने बताया कि वह सुबह 6 बजे अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गई थीं और सुबह 11 बजे तक यहां रुकीं. खुद आईपीएस अधिकारी और गांव वालों ने जी तोड़ मेहनत कर तालाब की सफाई की. इसका नतीजा यह हुआ कि तालाब और उसके आसपास की जगह उस दिन काफी हद तक साफ हो गई. तालाब की सफाई के लिए आईपीएस अनुकृति ने नाव भी मंगवाईं थीं. लेकिन काम अभी पूरा नहीं हुआ था. तालाब की और ज्यादा सफाई और इसके सौंदर्यीकरण के लिए आईपीएस अनुकृति ने नमामी गंगे टीम का सहयोग भी लिया. उन्हें सहयोग मिला भी और नमामी गंगे टीम ने अपने स्तर तक तालाब की सफाई भी की.
आपको बता दें कि 23 मई को ही आईपीएस अनुकृति ने ठान लिया था कि वह 5 जून, पर्यावरण दिवस के मौके पर गांव में एक कार्यक्रम आयोजित करेंगी. आपको यह भी जानकारी दे दें कि 23 मई से 5 जून के बीच इस तालाब के इर्द गिर्द काफी काम हुए. मसलन यहां तालाब के चारों ओर फेंसिंग लगा दी गई. बैठने के लिए एक बेंच लगाई गई और भी अन्य कई काम हुए. फिर 5 जून को जागरूकता बढ़ाने के लिए, उन्होंने पोस्टर से लेकर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया. इस मौके पर तालाब में सफाई में करने वाले हर एक गांववाले को एक सर्टिफिकेट भी दिया गया. साथ ही जो बच्चे पेंटिंग प्रतियोगिता में जीते, उन्हें इनाम भी मिला.
आज जो भी काशीपुर गांव जाता है तो इस तालाब तक घूमने जरूर जाता है. काशीपुर गांव के तालाब की यह कहानी प्रेरणादायक है, जो यह दिखाती है कि किस तरह आईपीएस अधिकारी अनुकृति शर्मा ने अपनी इच्छाशक्ति और समर्पण से गांव के तालाब को पुनर्जीवित किया. तालाब में सैकड़ों गैंगेटिक फ्रेश वॉटर कछुए होते हुए भी इसकी स्थिति जर्जर थी, लेकिन अनुकृति शर्मा ने गांववालों की मदद से तालाब की सफाई की और इसे एक पर्यटन स्थल में बदल दिया. इस पहल से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा हुआ बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है.

यह एक मिसाल है कि सामूहिक प्रयासों से किस तरह बदलाव संभव हो सकता है. कुल मिलकार इतना कहा जा सकता है कि इस तालाब की सफाई होने के बाद से गांववालों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ आईपीएस अनुकृति शर्मा ने उस कहावत को चरितार्थ किया है कि इंसान अगर मन में कुछ ठान ले तो 'आसमान में भी सुराख हो सकता है.'
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