13 की बजाए 20 नवंबर को यूपी उपचुनाव की वोटिंग होने से किसे मिलेगा फायदा? एक्सपर्ट की राय जानिए
UP Bypoll: उत्तर प्रदेश में आगामी 20 नवंबर को नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी. मालूम हो कि यह वोटिंग पहले 13 नवंबर को होनी थी. मगर भाजपा और रालोद ने चुनाव आयोग को पत्र लिख हिंदू धर्म के त्योहारों का हवाला देते हुए वोटिंग की डेट बदलने की मांग की थी. इसके बाद ही चुनाव की डेट बदली गई. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि वोटिंग की डेट बदलने के बाद किस पार्टी को इससे फायदा मिलेगा? इसी सवाल का जवाब हासिल करने के लिए यूपी Tak ने वरिष्ठ पत्रकार आस मोहम्मद से खास बातचीत की. खबर में आगे जानिए उन्होंने क्या कहा.
वरिष्ठ पत्रकार आस मोहम्मद ने कहा, "एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मुजफ्फरनगर में एक गंगा स्नान का मेला होता है. यह शुक्रताल और मखदूमपुर में होता है. मखदूमपुर में हजारों की संख्या में गुर्जर समाज समाज के लोग जाते हैं. वहीं, शुक्रताल में जाट समाज के लोग जाते हैं. यह मेला चुनाव के आसपास पड़ रहा था. ऐसा अनुमान था कि 10 से 15 हजार वोटों का नुकसान रालोद को हो सकता था."
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में दीपावाली के बाद भी कई दिन तक उत्सव चलता है, जिसमें लोग आसपास के तीर्थस्थल के दर्शन और परिक्रमा करने जाते हैं. वहीं, सियासी जानकारों का ऐसा कहना है कि भाजपा को इससे नुकसान हो सकता था.
तारीख बदलने पर चुनाव आयोग ने ये कहा
उपचुनाव की तारीख आगे बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग ने कहा है कि नवंबर 13 से 15 तक मनाए जाने वाले 'कल्पथी राथोलसावम' उत्सव एवं 15 नवंबर को 'कार्तिक पूर्णिमा' और 'प्रकाश पर्व' की वजह से चुनाव की तारीखों को आगे बढ़ाया गया है.
सपा ने बोला हमला
उपचुनाव की तारीख बदलने को लेकर सपा चीफ अखिलेश यादव ने हमला बोला है. अखिलेश ने X पर कहा है कि 'टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाकी सीटों के उपचुनाव की तारीख, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी.'
अखिलेश ने कहा, "यूपी में महा-बेरोजगारी की वजह से जो लोग पूरे देश में काम की तलाश और रोजगार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उत्तर प्रदेश आए हुए हैं. और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे. जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी खत्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं. ये भाजपा की पुरानी चाल है. हारेंगे तो टालेंगे."
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