Recent Posts

Breaking News

‘पिता का सिर तेजाब से जलाया, सदमे में आई माँ ने किया था आत्महत्या का प्रयास’: गोधरा दंगों के पीड़ित ने बताई आपबीती

 

मुकेश प्रजापति ने बताया, “एसिड ​​के कारण उनके सिर का पूरा मांस पिघल गया। मुझे अपने पिता के शरीर को देखने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन श्मशान घाट पर, जब मैंने अपने पिता के शरीर को देखा, तो मैंने अपने पिता के दिमाग के बचे हुए हिस्से इकट्ठा किए।”

मुकेश प्रजापति ने बताया है कि उनकी माँ इस घटना के कारण सदमे में आ गईं। उन्होंने बताया, “मेरी माँ को देखो। वैसे कोई समस्या नहीं है। लेकिन मेरे पिता की मौत के कारण, वह अपना विवेक खो बैठीं। वह आत्महत्या करना चाहती थी। ये विचार कभी-कभी मन में आते हैं।” 

प्रजापति ने 2022 के गोधरा कांड के कारण उन पड़े दुखों के पहाड़ के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ” जैसा कि आपने पूछा है, मुझे कैसा महसूस हो रहा है? हर कोई नहीं समझता… माता-पिता, आखिर माता-पिता होते हैं जबकि बच्चे वैसे ही रहते हैं। हम उसे अकेला नहीं छोड़ते, लेकिन वह अकेलापन महसूस करती है क्योंकि उसका जीवनसाथी अब नहीं रहा। उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया।”

साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के मामले में 31 मुस्लिमों को दोषी पाया गया था, इस घटना में 59 हिंदुओं (ज्यादातर महिलाओं और बच्चों) की जान चली गई थी। उनमें से 11 को 1 मार्च, 2011 को एक विशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।

मौत की सजा पाने वाले इन दंगाइयों के नाम अब्दुल रज्जाक कुरकुर, इस्माइल सुलेजा, जब्बीर बिन्यामीन बेहरा, रमजानी बिन्यामीन बेहरा, महबूब हसन, सिराज बाला, इरफान कलंदर, इरफान पटाडिया, हसन लालू, महबूब चंदा और सलीम जर्दा हैं।बाद में अक्टूबर, 2017 में उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

अन्य 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आजीवन कारावास की सजा पाने वालों के नाम सुलेमान अहमद हुसैन, अब्दुल रहमान अब्दुल माजिद धनतिया, कासिम अब्दुल सत्तार, इरफान सिराज पदो घांची, अनवर मोहम्मद मेहदा, सिद्दीक, मेहबूब याकूब मीठा, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर, सौकत, सिद्दीक मोहम्मद मोरा, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, अब्दुल रऊफ शामिल थे। अब्दुल माजिद ईसा, यूनुस अब्दुलहक समोल, इब्राहिम अब्दुल रजाक अब्दुल सत्तार समोल, सौकत यूसुफ इस्माइल मोहन, बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम घांची, फारूक, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सौकत अब्दुला मौलवी इस्माइल बादाम, मोहम्मद हनीफ हैं।

जैसा कि नामों से ही स्पष्ट है, जिन कट्टरपंथियों ने ट्रेन को जलाया और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों को जलाकर मार डाला, वे सारे मुस्लिम थे। इनको बचाने के लिए वामपंथी मीडिया आउटलेट्स ने जोर लगाया और यहाँ तक कि ट्रेन जलाने की घटना तक को झूठ बताने की कोशिश की।

No comments