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Govardhan Puja 2024 Date: कब है गोवर्धन पूजा? जानें पूजा का सही समय,शुभ योग और पूजा विधि

 

गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2024 Date: दीपावली के अगले दिन हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा होती है. इसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं. Govardhan Puja के साथ अन्नकूट का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं. हालांकि इस बार गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

Govardhan Puja Tithi and Muhurat: गोवर्धन पूजा की सही तारीख के बारे में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 01 नवंबर शुक्रवार को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 02 नवंबर रात्रि 08 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी. उन्होंने बताया कि सूर्योदय व्यापनी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 02 नवंबर शनिवार को है इस दिन सुबह गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 20 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक का है.

 

इस दिन मंदिरों में गाय के गोबर से विशाल पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाकर खील बताशे से उनकी पूजा की जाती है. फिर शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन या 128 पकवानों का भोग लगाया जाता है.  धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान कृष्ण ने इंद्रदेवता का घमंड तोड़ा था और अपनी कनिष्ठा पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर संपूर्ण ब्रजवासियों की जान बचाई थी. लगातार बरसते पानी के बीच भगवान कृष्ण ने गांव को बचाने के लिए लगातार सात दिनों तक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा था.  इस दौरान उन्होंने कुछ नहीं खाया पिया और इसीलिए जब बरसात बंद हुई तो गांव वालों ने उनको धन्यवाद के तौर पर तरह-तरह के छप्पन भोग खिलाए. इस दिन छप्पन भोग का महत्व इसलिए हैं क्योंकि मां यशोदा भगवान कृष्ण को एक दिन में आठ बार खाना खिलाती थीं और उन्होंने जब सात दिन भूखे रहकर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा तो गांव वासियों ने सात दिन का भोजन उनके लिए छप्पन भोग के रूप में तैयार किया. 

 

 

 

 

गोवर्धन पूजा विधि

Govardhan Puja Vidhi:सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को साफ करें.गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं या भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. दीप जलाकर भगवान की पूजा करें और गोवर्धन परिक्रमा करें. भोग में अन्नकूट (56 प्रकार का भोग) भगवान को अर्पित करें, जिसमें विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, फल और व्यंजन शामिल होते हैं. अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें.


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