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मुख्यमंत्री जी! हिमकेयर निजी अस्पतालों को भी दो, सरकारी अस्पतालों में नहीं हो पा रहा है पूरा इलाज

 


प्रदेश की जनता ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि हिमकेयर योजना का दायरा बढ़ाकर निजी अस्पतालों में इसे फिर शुरू किया जाए। उनका मानना है कि सरकारी अस्पताल हर मर्ज का न तो इलाज कर पा रहे हैं और न ही सभी सुविधाएं हैं। हिमाचल प्रदेश के आम लोगों, खासकर गरीब तबके ने हिमकेयर योजना जीवन रेखा के रूप में उभरी थी। यह योजना गरीब लोगों को निजी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण इलाज में मददगार बन रही थी। इस योजना ने हजारों परिवारों को राहत दी थी, जिनका सरकारी अस्पतालों की अनदेखी पर समय पर सही उपचार नहीं मिल पाता था, लेकिन अब हिमकेयर योजना को बंद होने से आम लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है। लोगों को अब मजबूर होकर बाहरी राज्यों तक को इलाज करवाने के लिए जाना पड़ रहा है। राज्य के लोगों ने प्रदेश सरकार व सीएम से मांग उठाते हुए कहा है कि अगर हिमकेयर योजना में कुछ खामियां थीं, तो उन खामियों को दूर किया जाना चाहिए। उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने योजना को सही प्रकार से क्रियान्वयन नहीं किया।

ऐसे अस्पतालों को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए था, जिन्होंने योजना का दुरुपयोग किया। इसके बजाय पूरी योजना को बंद करने से लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। लोगों ने सीएम को लिखित में भेजे गए प्रपत्र में कहा है कि योजना के तहत कुछ अधिकारी और निजी अस्पताल गड़बड़ी कर रहे थे और ऐसे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पूरी तरह निजी अस्पतालों को योजना से बाहर करने का लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और ऐसे में गरीब लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, जो इलाज के लिए केवल हिमकेयर योजना पर निर्भर थे। उन्होंने जनहित योजना, जिसमें सरकारी अधिकारी सही से काम करने में असफल हुए हैं, उसे बंद न करने की बात रखी है।

योजना के दुरुपयोग पर हो सख्त कार्रवाई

लोगों ने प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग उठाई है कि हिमकेयर योजना को दोबारा शुरू किया जाए, दोषी अधिकारियों और अस्पतालों पर कार्रवाई की जाए, जिन निजी अस्पतालों ने योजना का दुरुपयोग किया, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाए। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए व जनता को दंडित न किया जाए। यह सरकार गरीबों और जरूरतमंदों के कल्याण के लिए बनी है। ऐसे में किसी भी नीति को लागू न किया जाए, जिससे गरीब जनता को नुकसान हो।

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