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महाकुंभ मेले में सचमुच भटक गए ये 250 से अधिक लोग, इनमें से कुछ तो दास्तां सुनाते हुए दिखे बदहवास

 

Prayagraj Maha Kumbh Mela 2025
Prayagraj Maha Kumbh Mela 2025

प्रयागराज में शुरू हुए महाकुंभ मेले के पहले ही दिन 250 से अधिक लोग भीड़ में अपनों से बिछड़ गए. हालांकि, प्रशासन की मुस्तैदी और 'भूला-भटका कैंप' जैसी सुविधाओं के चलते इनमें से ज्यादातर लोगों को उनके परिवारों से मिला दिया गया.  

पहले दिन की भीड़ ने तोड़े रिकॉर्ड

महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान से हुआ. लाखों श्रद्धालु संगम पर पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे, जिससे मेले में भीड़ नियंत्रण की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई. प्रशासन ने पहले दिन ही कई प्रभावी उपाय लागू किए, जैसे:

- 'भूला-भटका' कैंप
- खोया-पाया केंद्र
- पुलिस सहायता केंद्र
- भीड़ पर नजर रखने के लिए खास वॉच टावर

इन उपायों ने पहले दिन की भारी भीड़ को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

घोषणाओं और तकनीक से मिली मदद

प्रशासन ने घाटों पर लगाए गए लाउडस्पीकरों और सोशल मीडिया के जरिए बिछड़े हुए लोगों के नामों की घोषणा की. कई खोया-पाया केंद्रों को डिजिटल उपकरणों से सुसज्जित किया गया है, जहां महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं की गई हैं. 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सिविल डिफेंस के वार्डन नितेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि,"सिविल डिफेंस और मेला प्रशासन की टीमों ने पहले डेढ़ घंटे में ही करीब 200 से 250 लोगों को उनके परिवार से मिलाया. यह काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि मेले में भीड़ हमारी अपेक्षाओं से कहीं अधिक थी."  

 

इमोशनल कहानियां: किसी ने राहत की सांस ली, तो कोई अब भी परेशान

भीड़ में बिछड़े और दोबारा मिलने वाले कई परिवारों ने प्रशासन का आभार जताया. दिल्ली से आए अजय गोयल ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, "हम तो मजाक कर रहे थे कि महाकुंभ में बिछड़ने की कहानियां सिर्फ पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में होती हैं. लेकिन हमारा मजाक सच हो गया. सौभाग्य से, घोषणाओं की वजह से हम जल्दी मिल गए."   

हालांकि, सभी इतने भाग्यशाली नहीं रहे. सुपौल से आईं सुजाता झा ने अपनी परेशानी बताई: "मैं अपने परिवार के 13 सदस्यों के साथ आई थी, लेकिन हम बिछड़ गए. दो-तीन घंटे हो गए हैं और अभी तक कोई सुराग नहीं मिला. मेरा सामान और फोन भी उनके पास है, और मैं गीले कपड़ों में यहां इंतजार कर रही हूं."  

 

शाहजहांपुर की रहने वाली बुजुर्ग ओमवती भी परेशान दिखीं. उन्होंने कहा,"मैं दो लोगों के साथ आई थी, लेकिन वे मुझसे अलग हो गए. अब मैं यहां अकेली हूं." 

प्रशासन के प्रयासों को मिली सराहना

बिछड़े लोगों को मिलाने की व्यवस्था को लेकर श्रद्धालुओं ने प्रशासन की जमकर तारीफ की. अजय गोयल ने कहा,
"घोषणाएं और खोया-पाया केंद्र वाकई बेहतरीन हैं. प्रशासन बहुत तेजी से काम कर रहा है." उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि 'खोया-पाया' केंद्रों में सोशल मीडिया और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करके लोगों को उनके परिवार से मिलाने की कोशिश की जा रही है.

महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु

12 साल बाद आयोजित हो रहे महाकुंभ मेले में 40 से 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. मेला क्षेत्र में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस और स्वयंसेवक दिन-रात काम कर रहे हैं.


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