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महाकुंभ की चर्चित 'साध्वी' हर्षा ने खोले अपने जीवन के रहस्य! बताई वो बात जो कोई नहीं जानता

Harsha Richhariya

Harsha Richhariya

Mahakumbh News 2025: सोशल मीडिया पर प्रयागराज महाकुंभ में एक साध्वी के भेष में युवती की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और सादगी भरा रूप लिए इस युवती का नाम है हर्षा रिछारिया. यूपी Tak को दिए एक इंटरव्यू में हर्षा ने अपनी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को साझा किया, जो लोगों को अचंभित कर रहे हैं. बता दें कि हर्षा रिछारिया निरंजनी अखाड़े की शिष्या हैं. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ और बाद में वे मध्य प्रदेश के भोपाल में बस गईं. भोपाल में उनके माता-पिता आज भी रहते हैं. हर्षा ने मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में काम किया, लेकिन अध्यात्म की ओर रुझान उन्हें उत्तराखंड की वादियों में ले गया, जहां वे साधना में लीन हैं. 

गुरु के सानिध्य में परिवर्तन

 

हर्षा बताती हैं कि दो साल पहले उनकी मुलाकात महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि से हुई.  कैलाशानंद गिरि के सानिध्य में उनका जीवन बदल गया. आज वे अध्यात्म और सनातन धर्म की गहराइयों को समझने और सीखने में लगी हैं. उनके लिए भक्ति या साधना की कोई उम्र नहीं होती, जब ईश्वर और गुरु की कृपा होती है, तो इंसान धर्म के रास्ते पर चल पड़ता है. 

 

 

 

 

रील की दुनिया से साधना तक का सफर

रील्स के माध्यम से धर्म और संस्कृति का प्रचार करने वालीं हर्षा अब साधना के जरिए लोगों को जागरूक कर रही हैं. वे मानती हैं कि साध्वी के रूप में उनका सफर अभी शुरू हुआ है और वे गुरुजी के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रही हैं. हालांकि, उन्होंने साध्वी की दीक्षा अभी तक नहीं ली है. वे अपने गुरु के आदेश का इंतजार कर रही हैं और मानती हैं कि साध्वी का टैग उनके लिए अभी उपयुक्त नहीं है.

आलोचनाओं को सकारात्मक नजरिए से देखना

 

हर्षा अपनी पुरानी रील्स में वेस्टर्न कपड़े पहनने और डांस करने को लेकर हो रही ट्रोलिंग को सकारात्मक रूप से ले रही हैं. उनका मानना है कि इससे लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे जीवन में बदलाव आता है और एक इंसान अपनी यात्रा के विभिन्न पड़ावों को कैसे पार करता है. 

 

 

 

 

गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियां

हर्षा ने अपने गुरु से संन्यास लेने की इच्छा जताई थी, लेकिन गुरुजी ने उन्हें गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियां निभाने की सलाह दी.  उनका कहना है कि जब सही समय आएगा, तब वे सन्यास की दीक्षा देंगी. हर्षा अब ग्लैमर की दुनिया में वापस नहीं जाना चाहतीं. उनका लक्ष्य धर्म का प्रचार-प्रसार करना है. 

परिवार का समर्थन

अध्यात्म की राह चुनने पर उनके माता-पिता खुश थे, हालांकि आगे के उनके विचारों के बारे में हर्षा अभी कुछ नहीं कह सकतीं. वे अपने परिवार के रिएक्शन का इंतजार कर रही हैं और अपनी साधना में जुटी हुई हैं. 


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