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महाकुंभ में मकर संक्रांति की डुबकी लगा इस विदेशी महिला ने आंखें बंद कर जोड़ लिए हाथ! क्या फील हुआ?

 

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मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं को भी गंगा की पवित्रता और भारतीय संस्कृति का दिव्य अनुभव कराया. संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं के साथ एक विदेशी महिला का अद्भुत नजारा देखा गया, जब उन्होंने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर आंखें बंद कर दोनों हाथ जोड़ लिए. यह क्षण सभी के लिए प्रेरणादायक बन गया और इस बात का गवाह बना कि भारतीय संस्कृति कितने विशाल रूप में फैली है, जिससे दुनिया के दूसरे देश के श्रद्धालु भी खुद को जोड़ रहे हैं. 

विदेशी महिला ने जताई गहरी आस्था

ईरान से आई एक महिला ने भी इस दौरान अपने अनुभव शेयर किए. महिला ने कहा, "हम नौ लोग हैं, जो अलग-अलग हिस्सों से यहां आए हैं. मेरे पति और मैं दुबई और लिस्बन के बीच आते-जाते रहते हैं. लेकिन महाकुंभ में आना एक अद्भुत अनुभव है. यहां की पवित्र ऊर्जा शब्दों में बयान नहीं की जा सकती."

स्नान के दौरान विदेशी श्रद्धालुओं का उत्साह

महाकुंभ के इस अमृत स्नान में अमेरिकी, फ्रांसीसी और इजरायली नागरिक भी शामिल हुए. एक अमेरिकी महिला पॉला ने टूटी-फूटी हिंदी में कहा, "आज बहुत उत्तम दिन है. साधुओं के साथ स्नान का अवसर मिला. यह हमारा सौभाग्य है." वहीं, अमेरिका से आए जैफ ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था जताते हुए कहा, "यहां एक पवित्र ऊर्जा है, जो शांति और सुकून देती है. यहां के लोग बेहद मैत्रीपूर्ण हैं."

‘हर हर गंगे’ के उद्घोष से गूंजा संगम तट

संगम तट पर देश-विदेश से आए श्रद्धालु 'हर हर गंगे', 'जय श्री राम' और 'बम बम भोले' के उद्घोष से वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ के आयोजन को सुव्यवस्थित और स्वच्छ बनाया गया. जैफ ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा, "यहां हर 15 मीटर पर कूड़ेदान उपलब्ध हैं. स्वच्छता का ऐसा प्रबंधन अद्भुत है."

महाकुंभ: भारतीय संस्कृति का वैश्विक संदेश

महाकुंभ का यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत उदाहरण है. संगम तट पर स्नान कर रही विदेशी महिला का अपने अनुभव को आत्मसात करना यह दर्शाता है कि भारतीय परंपराएं और आध्यात्मिकता हर किसी के हृदय को छू सकती हैं.

महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान न केवल करोड़ों भारतीयों बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के लिए भी आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बन गया. इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं विश्व स्तर पर लोगों को जोड़ने का अद्वितीय माध्यम हैं.

 

 

 

 

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