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शिमला-कांगड़ा फोरलेन के स्टेटस पर असमंजस, पढ़ें पूरी खबर..

 


वर्ष 2016 में जिस शिमला-कांगड़ा मार्ग को फोरलेन बनाने की घोषणा की गई थी उसमें अब बीच में बन रहे टू-लेन के पैकेज नेजहां कुछ सवाल खड़े किए हैं वहीं इस मार्ग के स्टेटस पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है कि इसे फोरलेन कहेंगे या फिर टू-लेन। क्योंकि कांगड़ा की तरफ से बन रहे इस मार्ग को रानीताल के आगे भंगवार से हमीरपुर के कोहली तक टू-लेन की शेप में बनाया जा रहा है, जो कि 50 किलोमीटर के लगभग बनता है। 

अब यदि यह कहा जाए कि भविष्य में इसे चौड़ा करके फोरलेन बनाया जाएगा तो भी बात हजम नहीं होती क्योंकि जहां टू-लेन बनाया जा रहा है वहां जमीन भी उस हिसाब से एक्वायर की गई है। बता दें कि फोरलेन के लिए 45 मीटर एरिया चाहिए और टू-लेन के लिए 30 मीटर। यह जो 50 किलोमीटर के लगभग टू-लेन बन रहा है इसमें 30 मीटर के हिसाब से ही जमीन एक्वायर की गई है। यानी कोहली तक टू-लेन ही बनेगा।

गौरतबल है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह जिनका गृह जिला हमीरपुर है वे इस सारे मार्ग को फोरलेन बनाने की बात कह चुके हैं। यही नहीं, केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी भी फोरलेन बनाने की बात कह चुके हैं। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुराग ठाकुर कह चुके हैं कि जो भी मार्ग बन रहे हैं उनमें ट्रैफिक लोड का स्टेटस देखा जा रहा है। 

अब इस मार्ग में ट्रैफिक लोड वजह है या कोई अन्य कारण यह कह पाना अभी मुश्किल है। ऐसा माना जा रहा है कि अगले पांच-छह महीनों में इसका काम पूरा हो जाएगा। अब अगला सवाल यह उठ रहा है कि कोहली से आगे जिला बिलासपुर के भगेड़ तक बनने वाले मार्ग का स्टेटस क्या होगा। क्या वह भी टू-लेन ही बनेगा या फिर फोरलेन। -एचडीएम

जून में कोहली तक काम पूरा

एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्ट ई. विक्रम मीणा की मानें तो मटौर से कोहली तक का काम जून तक पूरा हो जाएगा। जहां तक भगेड़ तक के मार्ग की बात है, तो इसे लेकर अभी मिनिस्ट्री से कोई गाइडलाइन नहीं आई है। जो काम है, वो मिनिस्ट्री की गाइडलाइन से हो रहा है सर्वे रिपोर्ट जमा करवा दी है।

वर्ष 2017 में शुरू हुआ था सर्वे

बताते चलें कि नेशनल हाई-वे शिमला-मटौर को वर्ष 2016 में फोरलेन बनाने की घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की थी। 223 किलोमीटर लंबे शिमला-मटौर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन में कंवर्ट करने के लिए इसपर सर्वे 24 मार्च 2017 को शुरू हुआ था। पहले मार्ग की फिजिविलिटी पर स्ट्डी की गई फिर इसके पांच पैकेज तय किए गए। कांगड़ा से शिमला तक 223 किलोमीटर लंबे मार्ग की दूरी फोरलेन बनने के बाद 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यह केवल 177 किलोमीटर लंबा रह जाएगा।

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