HP News: हिमाचल मेें बिजली प्रोजेक्ट लगाएं बाहरी राज्य, CM सुक्खू की नई सोच, इस आधार पर ले सकते हैं परियोजना
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की एक अलग ही सोच है, जिसके कई उदाहरण हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं। जो काम पूर्व में किसी सरकार ने नहीं किया, वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कर रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन के इस दौर में मुख्यमंत्री ने अब एक और नया प्रयास करने की सोची है। दूसरे राज्यों की सरकारें, जो बिजली परियोजना बनाना चाहती है, उन्हें हिमाचल ने न्योता दिया है।
सभी राज्य सरकारों को हिमाचल में बिजली क्षेत्र में निवेश के लिए पत्र लिखा गया है और 30 दिनों के भीतर उनकी तरफ से आवेदन करने को कहा गया है। यदि दूसरे राज्य यहां पर प्रोजेक्ट लेना चाहते हैं, तो ठीक, वरना इसके बाद सरकार निजी क्षेत्र को ये परियोजनाएं सौंपेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दूसरे राज्यों की सरकारों को बिजली क्षेत्र में निवेश का न्योता आखिर क्यों दिया है, यह भी एक समझने की बात है। इससे पहले किसी भी दूसरी सरकार ने इस तरह का कदम नहीं उठाया है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत सरकार ने सभी राज्यों को हाइड्रो पावर परचेज अनिवार्य कर रखी है। वर्ष 2022 से सभी राज्यों को हाइड्रो पावर खरीदनी ही पड़ती है। या तो वे अपना प्रोजेक्ट लगाएं, या फिर इस बिजली की खरीद करें।
कुछ राज्यों के पास हाइड्रो पावर जेनरेशन है, लेकिन अधिकांश राज्य ऐसे हैं, जिनके पास यह बिजली नहीं है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जो बाध्यता उनके लिए रखी गई है, उसके मुताबिक उन्हें हर साल बिजली खरीदकर इस्तेमाल करनी पड़ती है। ऐसे में हिमाचल के मुख्यमंत्री ने दूसरे राज्यों को यह विकल्प दिया है कि वे बिल्ट, ऑपरेटर, ओन एंड ट्रांसफर यानी बीओओटी आधार पर हिमाचल में प्रोजेक्ट लगा सकते हैं, जो कि 40 साल की अवधि के लिए होगा।
सभी राज्यों को सरकार की ओर से ऊर्जा निदेशालय ने पत्र लिख दिए हैं और उनसे उनकी इच्छा पूछी गई है। सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री, जिनमें हरियाणा व तेलंगाना भी शामिल हैं, ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस संबंध में बात की है।
उन्होंने इच्छा जताई है कि हिमाचल में उन्हें बिजली परियोजना दी जाए। यहीं से सीएम को यह आइडिया आया और उन्होंने वर्तमान में चिन्हित 22 परियोजनाओं के लिए दूसरे राज्यों को न्योता भेज दिया है। अब देखना यह है कि दूसरी कौन-कौन सी सरकारें, हिमाचल प्रदेश में इस क्षेत्र में निवेश करेंगी।
बिजली रॉयल्टी लेगी सरकार
10 लाख प्रति मेगावाट अपफ्रंट प्रीमियम के आधार पर उनको ये परियोजनाएं यहां पर दी जा सकती है। इतना ही नहीं, इसमें प्रदेश सरकार मुफ्त बिजली रॉयल्टी भी लेगी। यह रॉयल्टी 12-18-30 फीसदी के हिसाब से होगी, यानी शुरुआत में 12 फीसदी, फिर अगले 10 साल बाद 18 फीसदी और फिर आखिर में 30 फीसदी मुफ्त बिजली रॉयल्टी होगी। इसी आधार पर सरकार दूसरों को भी यहां प्रोजेक्ट देती है और रॉयल्टी का यह प्रावधान हाल ही में ऊर्जा नीति में संशोधन कर लागू किया गया है।
ये हैं हिमाचल सरकार के पास चिन्हित प्रोजेक्ट
कुल्लू में कुर्पणी तीन 14.6 मेगावाट का है, जबकि हुरला-एक 9.4 मेगावाट, साल-16.5 मेगावाट क्षमता का प्रोजेक्ट है, जो कि रावी बेसिन पर चंबा में है। इन तीनों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। इसलिए इन पर नए सिरे से काम करने की जरूरत नहीं होगी।
वे परियोजनाएं जिनकी फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, उनमें किन्नौर का तांगला 63.6 मेगावाट, वांगर-दो 36.9 मेगावाट का है। लाहौल स्पीति व चंबा में झंकार 24.5 मेगावाट, लालूनी 19.5 मेगावाट, कलिहन 19.1 मेगावाट, ग्यामथिंग चरण एक 15 मेगावाट, गलवत 12.8 मेगावाट, रोपा टॉप 12 मेगावाट, वांगर 10 मेगावाट, स्यूल 10 मेगावाट, डेढ़ा-एक 9.4 मेगावाट, डेढ़ा 8.9 मेगावाट, नोगली टॉप 8.4 मेगावाट, डुलिंग 8.4 मेगावाट, मी 7.5 मेगावाट, कुटोई 6.2 मेगावाट, ऊर-एक 5.8 मेगावाट, सेली 400 मेगावाट और मियाड़ 120 मेगावाट के नाम हैं। ये सभी परियोजनाएं किन्नौर, चंबा और लाहुल स्पीति में हैं, जो चिनाब, रावी व सतलुज बेसिन पर पड़ती हैं। इन सभी की कुल क्षमता 828.5 मेगावाट की बनती है, जिनको सरकार दूसरे राज्यों की सरकारों को आबंटन करना चाहती है।
आज सीए स्टोर की सौगात देंगे सीएम
मुख्यमंत्री गुम्मा में 30 करोड़ रुपए से निर्मित गोदाम का करेंगे शुभारंभ
बागबानों को सेब भंडारण की और सुविधा प्राप्त होगी। सरकार एक और सीए स्टोर बागबानों को समर्पित करने जा रही है। शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ऊपरी शिमला के दौरे पर रहेंगे और इस दौरे के दौरान वह कोटखाई जा रहे हैं। यहां गुम्मा में एचपीएमसी के नए कोल्ड स्टोर का उद्घाटन कर जनता को समर्पित करेंगे। एचपीएमसी के इस नए कोल्ड स्टोर से बागबानों को 1300 मीट्रिक टन सेब के भंडारण की सुविधा मिलने जा रही है।
बताया जाता है कि इसके बाद एचपीएमसी के दो और कोल्ड स्टोर का उद्घाटन होगा जो कि मंडी जिला के जरोल टिक्कर व चच्योट में बनकर तैयार हो चुके हैं। जल्दी ही उनके उद्घाटन के लिए भी मुख्यमंत्री से समय लिया जाएगा। बताया जाता है कि गुम्मा में अभी कोल्ड स्टोर की जो सुविधा है, वो 700 मीट्रिक टन क्षमता की है। यहां पर सालों पुराना एक कोल्ड स्टोर चल रहा है, जो वर्तमान में भी पूरी तरह से भरा है।
बागबान कोल्ड स्टोर की ज्यादा से ज्यादा सुविधा चाहते हैं। यही वजह है कि सरकार ने पिछले महीने रोहडू में भी एक कोल्ड स्टोर का उद्घाटन करके उस क्षेत्र के लोगों को सुविधा प्रदान की है। अब जुब्बल, कोटखाई, ठियोग व चौपाल क्षेत्र के बागवानों को गुम्मा के नए कोल्ड स्टोर से राहत मिल पाएगी। गुम्मा में एचपीएमसी ने जो कोल्ड स्टोर बनाया है, उसकी लागत 30 करोड़ रुपए की बताई जाती है।
यह कोल्ड स्टोर विश्व बैंक द्वारा दी गई बागबानी विकास परियोजना के तहत ही बना है। यहां पर बागबानों को एक रुपए 60 पैसे प्रति किलो प्रति माह की दर से सेब रखने की सुविधा दी जाएगी जैसी पुराने कोल्ड स्टोर में दी गई है। सरकार की योजना है कि फलों के साथ सब्जियों के लिए भी कोल्ड स्टोर उपलब्ध हो जिसकी शुरुआत सुंदरनगर से की भी गई है।
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