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कोटखाई गुडिय़ा हत्या*कांड : IG जैदी, डीएसपी जोशी सहित आठ पुलिसकर्मी दोषी


हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के कोटखाई के दिल दहला देने वाले ‘गुडिय़ा बलात्कार व हत्याकांड’ के एक आरोपी की पुलिस हिरासत में हुई मौत मामले में चंडीगढ़ स्थित सीबीआई की अदालत ने नौ आरोपी पुलिसकर्मियों में से आठ को दोषी करार दे दिया, जबकि सबूतों के अभाव में एक आरोपी को बरी कर दिया गया।

 सीबीआई ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 338, 348, 195, 196, 218 और 201 के तहत मामला दर्ज किया था। वर्ष 2017 के इस ‘गुडिय़ा बलात्कार व हत्याकांड’ मामले में गिरफ्तार एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में सीबीआई जज अलका मलिक की कोर्ट ने आठ आरोपियों हिमाचल प्रदेश के आईपीएस अफसर आईजी जहूर हैदर जैदी, तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, एसएचओ रजिंदर सिंह, सहायक सब इंस्पेक्टर दीप चंद शर्मा, हेडकांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद तथा कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को दोषी करार दे दिया है, जबकि गवाहों के बयान व सबूतों के अभाव में नामजद शिमला के तत्कालीन एसपी डंडूब वांगियाल नेगी को बरी कर दिया गया है। 

सभी दोषियों को पुलिस ने तुरंत हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। इन सभी को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। गौरतलब है कि कोटखाई में चार जुलाई, 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र हालत में मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी सैयद जहूर हैदर जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

इनमें से एक नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस की जांच पर सवाल उठने के बाद मौत का यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया और जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस की हिरासत में भारी प्रताडऩा के कारण हुई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने आईजी जैदी, डीएसपी मनोज जोशी सहित मामले से जुड़े नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या की धारा 302, सुबूत खुर्द-बुर्द करने की धारा 201 सहित अन्य कई संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।

 सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2017 में इस मामले को शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया था। चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट में इस मामले को चली लंबी सुनवाइयों के बाद बीती 10 जनवरी ने बहस समाप्त हो गई थी और कोर्ट ने 18 जनवरी इस मामले में फैसला सुनाने की तारीख तय की थी। शनिवार को इस मामले की दोपहर बाद हुई सुनवाई के दौरान मामले में नामजद सारे आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। 

कोर्ट ने सभी पक्षों द्वारा दी गई दलीलों, गवाहों के बयान व सुबूतों के आधार पर आईपीएस जैदी, डीएसपी सहित आठ आरोपियों को दोषी करार दे दिया, जबकि एसपी डी डब्ल्यू नेगी को बरी कर दिया। दोषी साबित आठों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और कोर्ट स्थित बक्शी खाने भेज दिया। इसके बाद शाम लगभग पांच बजे सभी दोषी आरोपियों को पुलिस की बस में बुड़ैल जेल भेज दिया गया। सभी दोषी आरोपियों को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी।

ये पुलिसकर्मी दोषी

चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत ने मामले में हिमाचल प्रदेश के आईपीएस अफसर आईजी जहूर हैदर जैदी, तत्कालीन डीएसपी ठियोग मनोज जोशी, एसएचओ रजिंदर सिंह, सहायक सब इंस्पेक्टर दीप चंद शर्मा, हेडकांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद तथा कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को दोषी करार दिया है।

फैसला आते ही हताश हुए आठों दोषियों के परिवार

शनिवार को सुनवाई के दौरान मामले में नामजद सारे आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। इसके साथ ही सभी आरोपियों के रिश्तेदार और अन्य सगे संबंधी भी कोर्ट के बाहर मौजूद रहे। हालांकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई दोपहर बाद शुरू की, लेकिन ये सभी लोग सुबह से ही कोर्ट परिसर में पहुंचने शुरू हो गए थे। कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में मौजूद इन आरोपियों के नजदीकी लोगों की भीड़ को देखते हुए पुलिस सुरक्षा के अतिरिक्त प्रबंध करने पड़े, ताकि फैसले के बाद किसी भी स्थिति से निपटा जा सके। उधर, जैसे ही कोर्ट का फैसला आया, दोषी साबित किए गए आठों आरोपियों के रिश्तेदार और अन्य नजदीकी हताश हो गए।

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