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कौशांबी में यूपी बोर्ड के एग्जाम में 12वीं के साइंस छात्रों को दिया गया आर्ट्स स्ट्रीम का पेपर? DM ने दी सफाई

 


उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा 2025 में इंटरमीडिएट के पहले पेपर के दौरान बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें उनकी स्ट्रीम के हिसाब से सही प्रश्नपत्र नहीं दिया गया. मंगलवार को मंझनपुर के देवशरण इंटर कॉलेज के छात्रों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर इसकी शिकायत दर्ज की. साथ ही छात्रों ने इस गड़बड़ी को ठीक करने के लिए दोबारा परीक्षा कराने की मांग की है.

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद बरैसा राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय से जुड़ा है जो इस बार परीक्षा केंद्र बनाया गया था. शिकायत के अनुसार, देवशरण इंटर कॉलेज के छात्रों का सेंटर इसी विद्यालय में था. सोमवार को यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा दूसरी पाली में आयोजित हुई. छात्रों का दावा है कि वे साइंस स्ट्रीम से हैं. लेकिन उन्हें हिंदी सामान्य वर्ग की जगह कला वर्ग का प्रश्नपत्र दे दिया गया. बाद में प्रश्नपत्र बदला जरूर गया. लेकिन तब तक उनका काफी समय बर्बाद हो चुका था. इससे नाराज छात्रों ने डीएम से गुहार लगाई कि इस पेपर को दोबारा कराया जाए. ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए.

डीएम ने दी सफाई

इस मामले में डीएम मधुसूदन हुल्गी ने छात्रों के आरोपों को खारिज किया है. उनका कहना है कि साइंस स्ट्रीम के छात्रों को आर्ट्स स्ट्रीम का प्रश्नपत्र देने की बात पूरी तरह गलत है. डीएम ने बताया कि बरैसा राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में एक छोटी सी चूक हुई थी. जहां साइंस के छात्रों को गलती से हिंदी का आर्ट्स पेपर दे दिया गया. हालांकि समय रहते इसे सुधार लिया गया और सही प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया गया. इतना ही नहीं प्रश्नपत्र बदलने में जो समय लगा उसके बदले छात्रों को अतिरिक्त समय भी दिया गया ताकि उनका नुकसान न हो. डीएम ने जोर देकर कहा कि बच्चों का भविष्य खराब न हो, इसके लिए हर संभव कदम उठाया गया है.

जांच के आदेश

डीएम मधुसूदन हुल्गी ने बताया कि इस मामले की पूरी जांच कराई जा रही है. तहसीलदार और जीआईसी प्रिंसिपल की देखरेख में जांच शुरू की गई है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्र का सीसीटीवी फुटेज भी सुरक्षित रखा गया है जिसे जांच के दौरान देखा जाएगा. डीएम ने यह भी आश्वासन दिया कि बोर्ड परीक्षा को सुचारू रूप से पूरा करना उनकी प्राथमिकता है. ताकि किसी भी छात्र का साल बर्बाद न हो. उनका कहना है कि गलत प्रश्नपत्र देने की बात सच नहीं है. बल्कि सही पेपर देने में थोड़ा समय जरूर लगा था.

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