दुर्लभ बच्चे का झारखंड में जन्म , 1.5 किलो के नवजात को देख डॉक्टर भी हैरान

Birth of Rare Child| चांडिल (सरायकेला-खरसावां), हिमांशु गोप : झारखंड में एक दुर्लभ बच्चे का जन्म हुआ है. उसके एक पैर हीं हैं. लिंग भी नहीं है. इसका वजन डेढ़ किलो है. बच्चे को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया है.
उसका जन्म सरायकेला खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड में हुआ है. नीमडीह प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को इस दुर्लभ बच्चे ने जन्म लिया.
नीमडीह सीएचसी में हुआ दुर्लभ बच्चे का जन्म
बुधवार को नीमडीह थाना क्षेत्र के पारगामा निवासी बिनोद सिंह सरदार की पत्नी आशा सिंह सरदार को प्रसव पीड़ा हुई, तो उसे प्रसव के लिए नीमडीह सीएचसी लाया गया. सीएचसी में आशा सिंह सरदार ने एक दुर्लभ बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का वजन बहुत कम था, इसलिए उसे जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया. एमजीएम में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स बच्चे का इलाज कर रहे हैं.
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ग्रामीण बोले- ग्रहण दोष के कारण जन्मा ऐसा बच्चा
डॉक्टरों की टीम लगातार बच्चे की स्थिति पर नजर रख रही है. डॉक्टरों ने भी इस केस को मेडिकल फील्ड के लिए दुर्लभ और अनोखा मामला माना है. उधर, ग्रामीणों का कहना है कि ग्रहण दोष के कारण ऐसे बच्चे का जन्म हुआ है.
बच्चे के जन्म पर क्या बोले सिविल सर्जन?
सरायकेला-खरसावां के सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि इसे डिफॉर्मेटी बाई बर्थ कहा जाता है. गर्भावस्था के दौरान जीन के म्यूटेशन की वजह से ऐसे अंग बनते हैं. उन्होंने कहा कि जीन के इसी म्यूटेशन की वजह से कभी किसी बच्चे के चेहरे पर सूंड जैसी आकृति बन जाती है, तो कभी 2 हाथ, 2 पैर बन तैयार हो जाते हैं. सीएस ने कहा कि ऐसे बच्चों के जन्म में माता के खान-पान का कोई मतलब नहीं होता. माता का खानपान कमजोर हो, तो बच्चे का वजन कम हो सकता है, लेकिन उसके अंग विकसित होने का इससे कोई संबंध नहीं है.
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