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'झूंसी में 5:30 बजे भगदड़, कूड़े के ढेर में लाशें...', इलाहाबाद MP उज्जवल रमण सिंह ने महाकुंभ भगदड़ को लेकर किया ये दावा

 

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महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुई भगदड़ को लेकर इलाहाबाद से कांग्रेस सांसद उज्जवल रमण सिंह ने संसद में बड़ा दावा किया है. उन्होंने सरकार पर कुप्रबंधन और भीषण लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि भगदड़ में हजारों लोगों की जान गई, लेकिन सरकार आंकड़े छिपा रही है. 

सरकार ने श्रद्धालुओं को मरने के लिए छोड़ दिया: उज्जवल रमण सिंह 

सांसद उज्जवल रमण सिंह ने संसद में कहा कि मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे, लेकिन यूपी सरकार ने आम लोगों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की. उन्होंने दावा किया कि लोग 30-30 किलोमीटर पैदल चलकर स्नान घाटों तक पहुंचे, लेकिन वहां न तो शौचालय थे, न पानी, न रहने की जगह और न ही खाने-पीने की सुविधा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार क्राउड मैनेजमेंट में पूरी तरह विफल रही. उनके अनुसार, प्रयागराज में तीन जगहों पर भगदड़ हुई, लेकिन सरकार इस बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं है. 

 

उज्जवल रमण ने कहा, 'मैं इलाहाबाद से चुनकर आता हूं. कुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की स्मृति को नमन करता हूं, श्रद्धांजलि देता हूं. मौनी अमावस्या में करोड़ों लोग आए. यूपी सरकार ने भी कहा था कि 10 करोड़ लोग आएंगे. यूपी सरकार ने आम श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था नहीं की. लोग 30-30 किमी पैदल चलकर गए. न तो शौचालय की व्यवस्था थी, न पानी की, न रहने की और न खाने-पीने की.'  

 

सांसद का दावा- झूंसी में 5:30 बजे भगदड़, शवों को कूड़े के ढेर में फेंका गया

सांसद ने दावा किया कि झूंसी में शाम 5:30 बजे भगदड़ मची, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने इन मौतों को छिपाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'तीन जगह भगदड़ हुई. सरकार बताने को तैयार नहीं कि कितनी भगदड़ कितनी जगहों पर हुई, कितने लोग मरे, कितने लोग बिछड़े इनका नाम तक नहीं बताया जा रहा. पांटून के 30 ब्रिज थे. 27 तारीख से ब्रिज बंद कर दिया. इस कारण व्यवस्था खराब हुई. लंबा चलकर आए लोग वहीं रेत पर सो गए. एक तरह सोते लोग और दूसरी तरफ जनता का सैलाब.'  

 

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा, 'ये वीआईपी मेला नहीं था, आम श्रद्धालुओं का महाकुंभ है. लेकिन वीआईपी की हूटर और सायरन बचाती गाड़ियों में संतों की वाणी दब गई. वीआईपी लोग फोटो अपॉर्च्युनिटी देख रहे थे, सरकार इवेंट मैनेजमेंट और ब्रैंडिंग कर रही थी. यहां आस्था का समुद्र था. हजारों लोग मर गए. जेसीबी लगाकर लोगों का समान उठाकर फेंकवाया गया. कूड़ों के ढेर में लाशें मिल रही हैं.'  

 

"जेपीसी जांच हो, सच सामने आए"

सांसद ने सरकार पर आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि जो लोग मरे हैं, उनके नाम तक सार्वजनिक नहीं किए जा रहे. "प्रयागराज के लोग पीड़ा में हैं, रो रहे हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. दुर्घटना के बाद राहत और बचाव कार्य तक शुरू नहीं किया गया."

सांसद का दावा- मैंने पहले ही सचेत किया पर किसे ने नहीं सुना 

 

उज्जवल रमण सिंह ने कहा, 'मैंने प्रेस और टेलिफोन के माध्यम से सचेत किया था कि मौनी अमावस्या पर चार गुना अधिक लोग आएंगे. लेकिन पुलिस प्रशासन वीआईपी लोगों के पीछे भागता रहा. साल की लकड़ी का 300 करोड़ का घोटाला हुआ है महाकुंभ मेले में. अंत में पुल बना जिसकी वजह से बड़ी दुर्घटना सामने है. जो लोग मरे हैं उनके नाम नहीं बताए जा रहे हैं. आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. मैं जेपीसी की मांग करता हूं. सांसद जाकर देखें और सच का पता लगाएं. प्रयागराज के लोग पीड़ा में हैं, रो रहे हैं, मायूसी छाई हुई है, उसका जिम्मेदार कौन है. दुर्घटना के बाद लोगों को निकालने की कोई तैयारी नहीं थी. लोग कह रहे हैं कि जो मरे उन्हें मोक्ष मिला, गरीब की मौत का मजाक उड़ाया जा रहा है.'

 

 

 

 

आपको बता दें कि महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे. मौनी अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे थे और इसी दौरान भगदड़ मच गई थी.

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