जरूरी नहीं दिल्ली-केंद्र सक्रिय भूमिका निभाएंगे, वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मामला फिर से सुर्खियों में है। सीएक्यूएम यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रेप यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के मानदंडों में कुछ छूट की इजाजत मांगी है। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने छूट देने से इनकार कर दिया है और सीएक्यूएम से एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स से संबंधित चार्ट मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अहम टिप्पणी भी की।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के साथ भले ही केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच खींचातानी खत्म हो गई हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह वायु प्रदूषण को हल करने के लिए सक्रिय रूप से भूमिका निभाएंगे। वायु प्रदूषण के मामले को लेकर न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भूयान की पीठ सुनवाई कर रही थी। इस दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार के आने बाद दिल्ली और केंद्र के बीच टकराव नहीं होगा, यह राहत की बात है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले आधा समय टकराव में बर्बाद हो गया, जिसके कारण मुद्दे हल नहीं हो पाए।
अधिवक्ता के दलील के बाद पीठ ने हल्के अंदाज में कहा कि यह इसका व्यावहारिक पहलू है कि हो सकता है कि केंद्र और दिल्ली सरकार में अब लड़ाई न हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे प्रदूषण के मुद्दे पर सक्रिय रूप से भूमिका निभाएंगे। सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हमें ग्रेप प्रतिबंध बनाए रखने के लिए कहा गया था, लेकिन क्या आप इस पर विचार करेंगे। अब हवा का रुख बेहतर है।
इस पर जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि हमें 17 तारीख
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