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सुगरवती, मीरावती, रुखसार...इनके पतियों की मौत के बाद बीमा के पैसे कोई और ले गया फिर खुला संभल का ये बड़ा करप्शन

 



Sambhal Insurance Fraud: तारीख 17 जनवरी 2025. रात का समय और कोहरे की चादर ने इलाके को अपनी चपेट में ले रखा था. इसी दौरान संभल की ASP अनुकृति शर्मा की गाड़ी को एक काली रंग की स्कॉर्पियो ने हड़बड़ी में ओवरटेक किया. इसके बाद जब ASP शर्मा के आदेश पर स्कॉर्पियो को रुकवाया गया तब पुलिस को भी शायद अंदाजा नहीं था कि यह कार एक बड़े बीमा घोटाले की चाबी साबित होगी. गाड़ी में बैठे ओंकारेश्वर मिश्रा और अमित नामक शख्स पुलिस के सवालों से बचने की कोशिश कर रहे थे. मगर जब तलाशी ली गई, तो पुलिस के हाथ 16 डेबिट कार्ड, बीमा कंपनियों से जुड़े दस्तावेज और ₹11.45 लाख नकद लगे. जांच आगे बढ़ी तो जो खुलासा हुआ, उसने पूरे उत्तर भारत की बीमा कंपनियों और कानून-व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया. फिलहाल इस मामले में पुलिस ने 6 और लोगों को अरेस्ट किया है. इन 6 लोगों में दो बैंक कर्मचारी, एक इन्वेस्टिगेशन कंपनी का मालिक और तीन बीमा कराने वाले एजेंट शामिल हैं. मामले की पूरी जानकारी आगे तफ्सील से जानें. 

बीमा के नाम पर संगठित लूट: ऐसे काम करता था गिरोह

संभल पुलिस की एडिशनल एसपी अनुकृति शर्मा के अनुसार, यह गिरोह गंभीर रूप से बीमार, मरणासन्न और गरीब लोगों को निशाना बनाता था. आशा कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधानों से ऐसे मरीजों की जानकारी लेकर, गिरोह के एजेंट उनके पास पहुंचते और उन्हें सरकारी योजना या आर्थिक सहायता दिलाने का झांसा देकर आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज इकट्ठा कर लेते. इसके बाद, पीड़ितों के नाम पर बीमा पॉलिसियां जारी की जातीं, जिनका प्रीमियम भी गिरोह खुद भरता था. 

मरीज की मृत्यु के बाद, गिरोह बीमा क्लेम करता और नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर, उसका डेबिट कार्ड और पासबुक अपने पास रख लेता. नॉमिनी को मामूली रकम देकर चुप करा दिया जाता, जबकि बीमा की पूरी रकम गिरोह हड़प लेता.

फर्जीवाड़े का शिकार हुए सैकड़ों लोग

ऐसे ही बुलंदशहर की रुखसार के पति असलम की मौत के 45 दिन बाद, तीन लोग उसके घर पहुंचे और बताया कि उसके पति के नाम पर एक बीमा पॉलिसी थी, जिससे उसे ₹1 लाख मिलने वाले हैं. रुखसार से दस्तावेज लेकर, गिरोह ने यस बैंक की अनूपशहर शाखा में उसका खाता खुलवाया. कुछ दिन बाद उसे सिर्फ ₹50,000 दिए गए और किसी से कुछ न कहने की हिदायत दी गई. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि रुखसार के खाते में असल में ₹15.30 लाख जमा किए गए थे, लेकिन पूरी रकम गिरोह के हाथ लग गई. 

इसी तरह, संभल के बलवीर सिंह की भाभी सुगरवती, मुरादाबाद की मीरावती, और बुलंदशहर की रुखसार के पति के नाम पर लाखों की बीमा राशि हड़पी गई. 

देशभर में फैला है गिरोह का जाल

संभल पुलिस की जांच से पता चला कि यह गिरोह सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था. उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार, झारखंड और असम जैसे राज्यों में भी ऐसे फर्जी बीमा दावे किए गए. गिरोह ने विभिन्न बीमा कंपनियों से ₹31 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की। इनमें शामिल प्रमुख बीमा कंपनियां हैं:

  • SBI लाइफ इंश्योरेंस: ₹7.27 करोड़
  • PNB मेटलाइफ: ₹2 करोड़
  • ICICI प्रूडेंशियल: ₹4.5 करोड़
  • केनरा HSBC: ₹7 करोड़
  • इंडिया फर्स्ट: ₹10 करोड़

जांच में सामने आया कि यह गिरोह पिछले सात वर्षों से इस फर्जीवाड़े में सक्रिय था. 

गिरोह में कौन-कौन शामिल?

गिरफ्तार किए गए ओंकारेश्वर मिश्रा और अमित इस गिरोह के प्रमुख सदस्य थे. ओंकारेश्वर मिश्रा खुद बीमा कंपनियों का जांच अधिकारी था, जिसके चलते उसे कंपनियों में अंदरूनी जानकारी मिल जाती थी. पुलिस को उसके मोबाइल में बीमा कंपनियों से जुड़ी फाइलें और व्हाट्सएप चैट्स मिलीं, जिनमें देशभर में किए गए बीमा दावों की जानकारी थी. 

गिरोह में कुछ बैंक अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने फर्जी KYC दस्तावेजों के आधार पर खाते खोले. यस बैंक की अनूपशहर शाखा में कई फर्जी खाते खोले गए, जिनमें अधूरे पते और नकली पहचान पत्रों का इस्तेमाल किया गया. 

अब जानें कैसे पकड़ा गया गिरोह?

संभल पुलिस ने बीमा कंपनियों से उन पॉलिसियों की लिस्ट मांगी, जिनका अर्ली क्लेम (1 साल से कम समय में) किया गया और जिनमें मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया था. जब उन पॉलिसी धारकों के मोबाइल नंबरों से संपर्क किया गया, तो अधिकांश नंबर बंद पाए गए. जिनसे संपर्क हुआ, उन्होंने बताया कि उन्होंने कोई बीमा पॉलिसी ही नहीं कराई थी. इसके बाद, पुलिस ने ऐसे संदिग्ध बीमा मामलों की गहराई से जांच शुरू की, और करोड़ों की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ. 

अब आगे क्या?

पुलिस ने इस मामले में 80 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कर लिए हैं और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं. हालांकि, इस गिरोह के कुछ मुख्य सदस्य, जैसे सचिन शर्मा, अभी भी फरार है. पुलिस जल्द इन लोगों की इनकी गिरफ्तारी कर सकती है. 

एडिशनल एसपी अनुकृति शर्मा ने लोगों से अपील की है कि अगर उनके साथ भी इस तरह की बीमा धोखाधड़ी हुई है, तो वे थाना रजपुरा, जनपद संभल में संपर्क करें. यह घोटाला बीमा कंपनियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है कि कैसे फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बीमा क्लेम पास कर दिए जाते हैं. यह सिर्फ एक गिरोह की कहानी नहीं, बल्कि बीमा क्षेत्र की सबसे बड़ी सुरक्षा चूक का उदाहरण भी है. 

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