अंगूठा छाप महिला गली-गली ठेला लेकर घूमती थी , खटाखट छाप लेती थी लाखों, घर का नजारा देख पुलिस का चकराया माथा

Bengal News Today: पश्चिमी बंगाल के नार्थ 24 परगना के केस्तोपुर की एक 24 साल की महिला रोज दोपहर कुछ घंटों के लिए घर से निकलती थी. वो गरीब मोहल्लों का रुख करती और वहां अपना ठेला जमा लेती.
उसके स्टाल पर एकाएक लोगों की भीड़ जमा हो जाती. यह महिला चंद घंटों में लाखों रुपये की कमाई कर वापस घर लौट जाती. देखने और सुनने में ऐसा लगा रहा होगा कि महिला का कोई शानदार स्टार्टअप बिजनेस है, जिसने उसे रातों-रात करोड़पति बना दिया है, लेकिन ऐसा नहीं है. यह महिला बिना गरीबों को धोखा देकर उनके नाम पर सिमकार्ड लेकर उन्हें अपराधियों को बेचने का धंधा चला रही थी.
पुलिस की टीम इस महिला के घर के अंदर का नजारा देखकर हैरान रह गई. उसके घर से 2,200 सिम कार्ड, 15 बायोमेट्रिक मशीनें और 18 मोबाइल फोन बरामद हुए. यह सिमकार्ड बरामद होने का बंगाल का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है. महिला की पहचान देबलीना चक्रवर्ती के रूप में हुई. कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग ने महिला की तलाशी में मौके से अलग-अलग कंपनियों के 237 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड, पांच बायोमेट्रिक मशीनें और आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं. पुलिस इस मामले में महिला के 28 साल के पति अनिर्बान साहा (28) और करीबी दोस्त रिपन साहा (22) को अरेस्ट कर लिया है.
डिजिटल अरेस्ट में इस्तेमाल हुए सिम
पुलिस के मुताबिक तीनों से मिले सुराग के आधार पर नौ अन्य लोगों को भी अरेस्ट किया गया है. चक्रवर्ती द्वारा बेचे गए सिम कार्ड का इस्तेमाल हाल ही में डिजिटल अरेस्ट, लोन के नाम पर धोखाधड़ी और हैकिंग से लेकर कम से कम 211 साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया गया था. केस्तोपुर में चक्रवर्ती के पड़ोसियों ने बताया कि वह अक्सर सिम कार्ड बेचने के लिए महिसबाथन, बालिगारी या मध्यमग्राम के अंदरूनी इलाकों में जाती थी. एक साल पहले जिस घर में वह रहती थी उसकी मालकिन उषा घोष ने बताया कि वह सुबह निकलती थी और देर रात वापस आती थी.
I4C ने दिया था इनपुट
चक्रवर्ती अक्सर इलाके में एक किराए के घर से दूसरे में शिफ्ट हो जाती थी. घोष ने बताया कि पिछले बुधवार को सुबह 6 बजे पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए इलाके में घुसी थी. कोलकाता पुलिस के सूत्रों ने बताया कि चक्रवर्ती को कई एजेंसियों ने ट्रैक किया था, जिसमें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने उन अपराधों का विवरण दिया था जिनमें वह शामिल थी. साइबर जालसाजों को बेचे गए सिम, ओटीपी देबलीना चक्रवर्ती का काम करने का तरीका सरल था.
ठेला लगाकर झुग्गी वालों को बनाती थी शिकार
पुलिस के मुताबिक महिला झुग्गियों के पास प्रमुख POS काउंटर लगाती थी, जहां KYC दस्तावेज प्राप्त करना थोड़ा आसान है. वह असफल वेरिफिकेशन अटेम्प्ट के बहाने ग्राहकों से अंगूठे के निशान एकत्र करती थी. उनका आधार कार्ड व अन्य डिटेल ले ली जाती. इन डिटेल्स की मदद से सिमकार्ड प्राप्त कर लेती. एक बार वैरिफाइड सिम कार्ड मिलने के बाद वो उसे बचेने के लिए अपने टेलीग्राम चैनल की मदद लेती थी. उसने बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से संचालित साइबर गिरोहों को सिम कार्ड भी किराए पर दिए. संयुक्त सीपी (अपराध और यातायात) रूपेश कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "चक्रवर्ती के घर से जब्त की गई वस्तुओं में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण उपकरण शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी से अनजान व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट-आधारित केवाईसी डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाता है."
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