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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि आज से शुरू, जानिए घटस्थापना का मुहूर्त, पूजा विधि और अष्टमी-नवमी की तिथि

 

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि आज से शुरू, जानिए घटस्थापना का मुहूर्त, पूजा विधि और अष्टमी-नवमी की तिथि


Chaitra Navratri 2025 Ghatasthapana Muhurat: सनातन धर्म में हर साल दो बार नवरात्रि भी मनाई जाती है। जिसके अनुसार साल की शुरुआत में चैत्र और आखिर में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। 

मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत करने से साधक को मनचाहा फल मिलता है और उसकी हर दुख-परेशानी का नाश हो जाता है।

वहीं, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज यानी रविवार, 30 मार्च से हो रही है। यह हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसका समापन राम नवमी के दिन होता है। आइए जानते हैं कि आज किस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है और अष्टमी व नवमी तिथि किस दिन पड़ रही है।

घटस्थापना का मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Ghatasthapana Muhurat)

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आज यानी 30 मार्च को है। ऐसे में 30 मार्च को घटस्थापना का समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह ही 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस समय में घटस्थापना करना अति शुभ माना जाएगा। इसके अलावा, आप दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के बीच भी अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।

कब है अष्टमी और नवमी (Chaitra Navratri Ashtami-Navami Kab Hai)

इस बार चैत्र नवरात्रि में 8 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस प्रकार 5 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का पूजन व कन्या पूजन किया जाएगा। जिसके बाद इसके अगले दिन यानी 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन और राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा जो कि 7 मार्च तक चलेगी।

चैत्र नवरात्रि पूजा विधि (Chaitra Navratri Puja Vidhi)

  • नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ कपड़े पहनें।
  • इसके बाद घर के मंदिर के पास लकड़ी के पटरे पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • अब इस चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति समेत बाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद माता के सामने मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं। नवरात्रि के दौरान जौ लगाने का बेहद खास महत्व माना जाता है।
  • अब एक मिट्टी के कलश में पानी डालकर उस पर नारियल रखें और नारियल को लाल चुनरी से बांध दें।
  • कलश पर स्वास्तिक बनाकर आप माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • इस दौरान उन्हें फल, फूल, श्रृंगार का सामान आदि चीजें अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान आपको 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' मंत्र का जाप करना है।
  • नवरात्रि में नौ दिनों के लिए अखंड ज्योत जलाई जाती है इसलिए माता रानी के समीप घी का दीपक जलाएं।
  • दीपक जलाते समय उसमें इस्तेमाल किया जाने वाला कलेवा काफी लम्बा होना चाहिए ताकि वह नौ दिनों तक जलता रहे।
  • अब माता की आरती पढ़ें और मंत्रों का जप करें।
  • इसके बाद माता को घर में बनी दूध की खीर का भोग लगाएं और फिर इसे घर के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।

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