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Supreme Court: शादी का वादा तोडऩा रेप नहीं, लिव इन रिलेशन में रहकर महिला नहीं लगा सकती आरोप

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, लिव इन रिलेशन में रहकर महिला नहीं लगा सकती आरोप


लंबे समय तक लिव इन में रहने के बाद महिला अपने साथी पर बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकेगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस में यह फैसला सुनाया है। खास बात है कि दोनों एक दशक से ज्यादा समय तक साथ रहे थे। 

अदालत ने इसे रिश्तों में खटास आने का मामला करार दिया है। साथ ही अपीलकर्ता पुरुष को आपराधिक कार्यवाही से राहत दी है। रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष न्यायालय का कहना है कि ऐसे हालात में यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता कि शारीरिक संबंध सिर्फ शादी के वादे के आधार पर बनाए गए थे। 

सिर्फ शादी करने का वादा तोडऩे से रेप का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो जाए कि शुरुआत से ही शादी की कोई मंशा नहीं थी। महिला के आरोप थे कि वह आरोपी बैंक अधिकारी के साथ शादी के वादे के आधार पर 16 सालों तक संबंध बनाती रही। याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी।

शिकायतकर्ता महिला पेशे से लेक्चरर हैं। अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट का कहना है कि दोनों ही पढ़े लिखे हैं और संबंध सहमति से बने थे, क्योंकि अलग-अलग शहरों में रहने के बाद भी दोनों का एक-दूसरे के घर पर आना जाना था। 

अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर रिश्तों में खटास आ जाने का मामला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इस बात को मान भी लिया जाए कि कथित तौर पर शादी का वादा किया गया था, तो इतने समय तक उनका रिश्ते में रहना उनके दावों को कमजोर करता है।

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