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वाह रे किस्मत! 'एक चुटकी नमक' ने बचाई 11 लोगों की जान, पहलगाम आतंकी हमले से पहले उस ढाबे की कहानी, जान हो जाएंगे हैरान

 

वाह रे किस्मत! 'एक चुटकी नमक' ने बचाई 11 लोगों की जान, पहलगाम आतंकी हमले से पहले उस ढाबे की कहानी, जान हो जाएंगे हैरान

Pahalgam Terror Attack: कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों से धर्म पूछकर जो खून की होली खेली है, उससे देशभर में मातम पसरा हुआ है। पीएम मोदी ने भी उन आतंकियों को मिट्टी में मिलाने की कसम खा ली है।

पहलगाम के बैसरन घाटी में बीते मंगलवार को आतंकियों ने 26 पर्यटकों को गोलियों से भून दिया। इस हमला में दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

हालांकि, एक परिवार ऐसा भी था, जो इस घटनास्थल पर पहुंचना तो चाहता था, लेकिन एक चुटकी नमक के कारण परिवार के 11 सदस्य बैसरन घाटी तक पहुंच नहीं पाए। शुक्र है उस ढाबे और एक छोटी गलती की, जिसके कारण 11 लोगों की जान बच गई। आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है।

नमक ने बचाई 11 लोगों की जान

ये कहानी है केरल के रहने वाले एक परिवार की। 11 सदस्यों का परिवार भी कश्मीर घूमने पहुंचा था। पहलगाम के बैसरन घाटी जाने से पहले सभी एक ढाबे पर लंच करने रुके। परिवार के इस ग्रुप में लावन्या, उनके पति एल्बी जॉर्ज, उनके तीन बच्चे, उनके पति के माता-पिता, चचेरी बहन और उनका परिवार शामिल था।

लावन्या ने मीडिया से बातचीत के दौरान एक ऐसी कहानी बताई, जिसके बारे में जानकर, आप भी कहेंगे- वाह रे किस्मत! उसने कहा, ''हमने पहलगाम में घूमने के लिए दो दिनों की योजना बनाई थी। हम पहलगाम को अच्छी तरह से देखना चाहते थे। हम ऊपर जा रहे थे और जहां ये घटना हुई है उससे दो किलोमीटर दूर थे। हम एक ढाबे पर लंच करने के लिए रुके। हम दो लोगों के बहुत आभारी हैं। एक उस ढाबे के स्टाफ की, जिसने हमारे ऑर्डर किए गए मटन रोगन जोश में ज्यादा नमक डाल दिया था और फिर वो हमारे लिए इस ऑर्डर को दोबारा बनाने लगा। दूसरा मेरे पति, जिन्होंने कहा कि आज तो हम लंच कर के ही आगे निकलेंगे।''

पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। ये आंकड़ा और बढ़ सकता था। शुक्र है उस ढाबे की और वहां के स्टाफ की, जिसने मटन रोगन जोश में ज्यादा नमक डाल दिया और फिर उसे दोबारा बनाने लगा। इसकी वजह से 11 सदस्यों का परिवार इस ढाबे पर थोड़ी देर और रुका रहा। इस थोड़ी देर की कीमत क्या है? वो इस परिवार से बेहतर शायद ही कोई बता सकता है।

ढाबे वाले की जिद से बची 11 जिंदगी

लावन्या ने आगे बताया कि हम दो दिनों से लंच नहीं कर सके थे क्योंकि टूरिस्ट सीजन है और कश्मीर में काफी भिड़ थी। लेकिन उस दिन मेरे पति ने कहा कि हम लंच कर के ही जाएंगे। इस ढाबे पर हमने मटन रोगन जोश ऑर्डर किया, लेकिन उसमें स्टाफ ने नमक ज्यादा डाल दी थी और उसमें बोन्स भी अधिक थी। हमारे माता-पिता की उम्र 70 से अधिक है जो बोन्स वाले मटन नहीं खा सकते। जब हमने ढाबे वाले को ये बात बताई तो उसे बहुत बुरा लगा और उसने कहा कि हम आपके खाने को दोबारा बनाएंगे। हमने उससे कहा भी कि बहुत देर हो जाएगी, लेकिन वो नहीं माना। उन्होंने जिद की और दोबारा ऑर्डर तैयार करने लगे। भगवान का शुक्र है कि उन्होंने जिद की, जिसकी वजह से देर हुई और हमारी जान बच गई।

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